इंदौर के इस अस्पताल में चुराए जा रहे हैं शव के जेवर, डॉक्टर्स और स्टाफ है लापरवाह
इंदौर के इस अस्पताल में चुराए जा रहे हैं शव के जेवर, डॉक्टर्स और स्टाफ है लापरवाह
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इंदौर: इंदौर के एक अस्पताल से अनोखा मामला सामने आया है। जी दरअसल जिस अस्पताल के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उस अस्पताल से एक महिला के शव से जेवर चोरी हुए हैं। जी दरअसल हम बात कर रहे हैं MTH हॉस्पिटल की। यहाँ उस समय हंगामा मच गया, जब एक महिला के शव से जेवर चोरी हो गए। इस मामले में हॉस्पिटल स्टाफ पर एक के बाद एक कई आरोप लगना शुरू हुए। काफी शोर-शराबा हुआ और देखते ही देखते यह इतना बढ़ गया कि हॉस्पिटल के स्टाफ ने जेवर ये कहकर लौटा दिए कि ये कहीं कोने में पड़े थे।

वहीँ दूसरी तरफ मामले को बिगड़ता देख हॉस्पिटल स्टाफ ने महिला के शव को फ्री में MY हॉस्पिटल पहुंचाया। इस मामले में मिली जानकारी के तहत, दीपेश वर्मा सुखलिया में रहते हैं। उन्ही की मां को तीन दिन पहले सांस लेने में परेशानी हो रही थी।उसके बाद जब उन्होंने एक जगह जांच करवाई तो वहां से उन्हें MTH अस्पताल जाने को कहा गया। दीपेश का कहना है कि यहां बिना किसी जांच के हॉस्पिटल स्टाफ ने उनकी मां को एडमिट कर लिया। उसके बाद उनकी मां कुछ समय तो ठीक थीं, लेकिन अचानक ही रात में उनकी हालत खराब होने लगी। इसके अलावा दीपेश ने यह भी कहा कि, '2 दिन पहले एक डॉक्टर ने मां को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने की बात कही थी।'

आगे दीपेश ने बताया कि डॉक्टर ने जब ये बोला कि ये इंजेक्शन 5000 का आएगा तो मैंने मना कर दिया। यह इंजेक्शन फ्री में लगते हैं। वहीँ जब यह मामला हुआ तो दीपेश की बहन ने अस्पताल प्रबंधन और डाक्टरों के खिलाफ CM हेल्पलाइन पर शिकायत कर दी। उसके बाद स्टाफ औऱ डाक्टरों ने उसे धमकाकर शिकायत वापस कराई। उसी के अगले दिन 12:30 बजे स्टाफ ने फिर कहा कि इंजेक्शन चाहिए। परिवार ने फिर एक इंजेक्शन की व्यवस्था कर दी। दीपेश का कहना है कि गुरुवार रात 12:00 बजे मां ने फोन लगाकर कहा कि उनकी हालत बहुत खराब है। यहां से निकलवाओ वरना मर जाऊंगी।

यह सब होने के बाद भी डॉक्टरों ने कुछ नहीं किया और सुबह 6:00 बजे उसे बताया गया कि मां की तबीयत खराब थी और वह मर चुकी है। करीब 7:00 बजे दीपेश और उसका परिवार मां का शव लेने MTH पहुंचा तो वहां सामान दे दिया। उस सामान में फोन तो था, लेकिन माँ के जेवर नहीं थे। यह देखने के बाद दीपेश ने आपत्ति जताई तो स्टाफ ने कहा कि, 'पेशेंट तो जेवर लाया ही नहीं था।' यह सुनकर गुस्साए परिजन बोले हम शव नहीं ले जाएंगे और घर पहुंच गए। उसी के आधे घंटे बाद अस्पताल से फोन आया कि उनके जेवर मिल गए हैं। कोने में पड़े थे। इसके बाद अस्पताल वालों ने उन्हें जेवर दे दिए और साथ ही एमवायएच से मुक्तिधाम तक उनको निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था करवाई। 

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