नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर जहाँ केंद्र सरकार जागरूकता फैलाने में जुटी हुई है और हर दिन अधिक से अधिक टीकाकरण का लक्ष्य लेकर चल रही है, वहीं कुछ मजहबी ताकतें ऐसी हैं जो कोरोना के खिलाफ इस जंग को कमजोर कर के कट्टरता के सहारे लोगों को भ्रमित करने में लगी हुई है। दरअसल, हाल ही में ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष JA जयलाल द्वारा देश के अस्पतालों में ईसाई धर्मांतरण की कोशिशें करते पाए गए थे।
दरअसल, भारत के स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स के सबसे बड़े परिषद ‘इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (IMA)’ के अध्यक्ष JA जयलाल ‘सेक्युलर संस्थाओं’ के ईसाई धर्मांतरण की इच्छा रखते हैं और चाहते हैं कि अस्पतालों का उपयोग भी धर्मांतरण के लिए हो। उन्होंने कहा था कि वे चाहते हैं कि IMA ‘जीसस क्राइस्ट के प्यार’ को साझा करे और सभी को यकीन दिलाए कि जीसस ही व्यक्तिगत रूप से रक्षा करने वाले हैं। उनका कहना है कि चर्चों और ईसाई दयाभाव की वजह से ही विश्व में पिछली कई महामारियों और रोगों का उपचार आया।
पूरे भारत का सबसे बड़ा मेडिकल संघ और उसके अध्यक्ष जयलाल, एक इतने बड़े पद पर बैठा शख्स जब इस तरह की बातें करता है तो मीडिया क्यों 'धृतराष्ट्र' बन जाती है ? आपको मीडिया में IMA अध्यक्ष की आलोचना तो दूर, कहीं उसकी मंशा को लेकर एक खबर तक देखने को नहीं मिलेगी। जिस व्यक्ति को एक वैज्ञानिक और मेडिकल प्रोफेशनल्स की संस्था का प्रमुख चुना गया है, वो इसके इस्तेमाल मजहबी गतिविधियों के लिए करता है और मीडिया में कहीं कोई हलचल नहीं।
वे कोरोना के प्रकोप के कम होने के लिए भी जीसस को ही श्रेय देते हैं। उन्होंने कहा था कि जीसस की कृपा से ही लोग सुरक्षित हैं और इस महामारी में उन्होंने ही सभी लोगों को बचाया है। उन्होंने कहा कि फैमिली प्रेयर्स और नाइट प्रेयर्स की सहायता से ईसाई अब स्वर्ग की अनुभूति कर रहे हैं, न कि भौतिकतावादी दुनिया की। इस प्रकार भारत के सबसे बड़े मेडिकल संगठन के मुखिया के लिए सरकार द्वारा लॉकडाउन या टीकाकरण का कोरोना से लड़ने में कोई भूमिका नहीं है।
IMA अध्यक्ष ने खुद ये नहीं सोचा कि उनके इस तरह के बयानों के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं। उत्तर-पूर्वी राज्यों में ईसाई संगठनों ने कोरोना के टीके को लेकर इतनी अफवाहें फैलाई हैं कि वहाँ लोग इसे ‘शैतानी ताकत’ बताते हुए इसकी खुराक लेने से इनकार कर रहे हैं।‘ इन लोगों से कहा गया है कि वैक्सीन लेने वाले ईसाई साम्राज्य में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। दरअसल, इस महामारी की सबसे अधिक मार गरीब वर्ग पर ही पड़ी है और उन्हें ही वैक्सीन से दूर किया जा रहा है। मणिपुर के ईसाईयों का भी मानना है कि उन्हें वैक्सीन नहीं, बाइबिल बचाएगी। लेकिन इन सबके बीच यह सवाल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष जयलाल द्वारा की गई धर्मान्तरण को बढ़ावा देने वाली टिप्पणियों पर आखिर तथाकथित निष्पक्ष मीडिया मौन क्यों हैं ?
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