... तो इसलिए जज ने अयोध्या मामले में हिंदू मत को माना महत्वपूर्ण, दिया ये तर्क
... तो इसलिए जज ने अयोध्या मामले में हिंदू मत को माना महत्वपूर्ण, दिया ये तर्क
Share:

नई दिल्ली: भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि रामजन्मभूमि न्यास को देने की बात कही है. इसके साथ ही भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता निष्कंटक गया है. इसके साथ ही मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है.

अयोध्या मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत के CJI सहित पांच जजों की पीठ ने किया. इस बेंच के एक न्यायाधीश ने भगवान राम के जन्म पर अलग ही दृष्टिकोण दिया है. हालांकि, फैसले में उन जज का नाम नहीं दिया गया, किन्तु उनके विचार को परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया. इन न्यायाधीश ने अपना दृष्टिकोण देते हुए कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी का सन् 1510-11 में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन करने के लिए वहां जाना हिंदुओं के पक्ष और विश्वास को बल देता है. इसलिए इन न्यायाधीश ने माना कि हिंदुओं का मत महत्वपूर्ण है.

शीर्ष अदालत ने पाया है कि राम जन्मभूमि की सही जगह की पहचान के लिए कुछ नहीं था, किन्तु गुरु नानक देवजी के अयोध्या यात्रा के सबूत हैं. इससे पता चलते है कि वर्ष 1528 से पहले भी हिन्दू श्रद्धालु अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए जाते थे. 'जन्म सखीज' को अयोध्या मामले पर रिकॉर्ड के तौर पर लिया गया. आपको बता दें कि जन्म सखीज को गुरु नानक देव जी की जीवनी होने का दावा किया जाता है.

जल्द आएगा प्याज की कीमत में बदलाव, भारत ने विदेश से बुलवाया 200 टन प्याज

अब ATM से भी कर सकते है SBI Credit Card payment , जानिए सही तरीका

मूडीज ने भारत को दिया झटका, रेटिंग को घटाकर किया नेगेटिव

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -