भारत भी किसी से कम नहीं, दिखायेगा अपनी समुद्री ताकत
भारत भी किसी से कम नहीं, दिखायेगा अपनी समुद्री ताकत
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नई दिल्ली : आज के इस आधुनिक समय में कोई भी देश किसी से कम नहीं है हर कोई निरंतर ताकतवर बनने की सोच रहा है। ऐसे में जो देश समुन्द्र पर राज करेगा वही दुनिया पर भी राज करेगा और इसीलिए विश्व के सभी महासागर पर चीन और अमेरिका जैसी महाशक्तिया अपनी पैनी नजर हमेशा गढ़ा कर रखते हैं। और इसी मैदान में अब भारत भी कदम रखने के लिए तैयार है। भारत इस नये पहलू पर कदम रखने के लिए तैयार है। सिटी आॅफ डेस्टेनी जो आंध्रप्रदेश के तटीय शहर विशाखापट्टनम को, कहते हैं यहां पर कल बहुत ही अद्भुत और खतरनाक नमूना पैश करेगा। इस दृश्य को देखने के लिए भारत ने दुनियाभर के 52 देशों की नौसेनाओं को भी आमंत्रित किया है।

यह नौसेनाऐं अपने जंगी बेड़े के साथ समुद्री तट पर आने लगी है। भारत ने इस अंतर्राष्ट्रीय जंगी बेड़े की समीक्षा समारोह में दुनियाभर के सभी ताकतवर और मित्र देशों को आमंत्रित किया सभी नौसेनाएं विशाखापट्टनम यानि वाईजे़ग में पहुंच गई हैं। इसका थीम सोंग अहोय रखा गया है। अहोय का मतलब दरअसल एक सांकेतिक शब्द से है जो समुद्र में चलने वाले नाविको और नौसेनिकों के द्वारा प्रयुक्त होता है। अहोय शब्द का प्रयोग एक दूसरे को बुलाने के लिए करते हैं। कई किलोमीटर तक फैले हुए समुद्र में अगर कोई, कई गुना दूर से भी इस शब्द को पुकारेगा तो निश्चित ही दूसरा नाविक तुरंत उसकी समुद्री तट पर पहुँच जायेगा। इसलिए खासकर इस बात को लेकर इसकी थीम अहोय रखा गया है। इस पूरे संसार में दो सबसे बड़ी समुद्री ताकत है अमेरिका और रूस जिसे भारत ने विशाखापट्टनम में हाजिर होने का निमंत्रण दिया है। इनके साथ ही अपने बेड़ो के साथ ब्रिटेन, जापान, इजरायल और पड़ोसी देश श्रीलंका और बांग्लादेश, वियतनाम सभी यहां जुट रहें हैं।

और इन सब में सबसे ज्यादा चैंकाने वाला नाम है चीन का है। आपको बता दें कि चीन शुरू से ही भारत पर नजर रखा हुआ है। वह अपनी पनडुब्बी युध्दपोत के साथ कभी बंगाल कि खाड़ी में तो कभी अरब सागर में भारत पर नजर रखते हुए पाया गया है। और चीन तो शुरू से ही भारत का पारंपरिक दुश्मन है लेकिन अब इन सब के चलते दोस्ती के आसार नजर आ रहे हैं। भारत ने 52 देशों कि नौसेनाओं को अपनी पूरी ताकत के रिव्यू को दिखाने के लिऐ आमंत्रित किया है। और यह देश अपनी नौसेनाओं के साथ एक-एक कर के यहां इकट्ठा हो रहें हैं। आईएनएस चक्र को भी पहली बार दुनिया अपनी आंखो से देखेगी। यह 8000टन वाली परमाणु पनडब्बी पलक झपकते ही दुश्मन के परखच्चे उड़ा देगी।

और इसके साथ ही भारत के सबसे बड़े और ताकतवर युध्दपोत आईएनएस विक्रमादित्य का जलवा भी कम नहीं है और आई एन एस विक्रमादित्य में तैनात जिसे इजराइल के द्वारा निर्मित किया गया है ये बराक-1 मिसाइल 9 किलोमीटर के दायरे में अपने दुश्मन की हर मिसाइल के नामों निशान को मिटा सकती है। भारत के इस आमंत्रण पर करीब 100 युद्धपोत और पनडुब्बियां भी अपना होंसला जाहिरें बयां करेंगी। आपकों बता दे कि विश्व के कुल व्यापार का 90 प्रतिशत व्यापार समुद्र मार्ग से ही होता है। इससे एक फायदा यह भी हो सकता है कि भारत को जो व्यापार में खेद प्रकट हो रहा है वह इस रिव्यू को देख कर न हो। दुनिया में बड़े-बड़े देश अपनी समुद्री ताकत को प्रदर्शित करने के लिए फ्लीट रिव्यू का प्रयोग करते हुए आ रहें हैं। और यह सदियों से चला आ रहा है। भारत में भी आजादी के बाद से नौसेना की फ्लीट रिव्यू की परंपरा रही है और हर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में कम से कम एक बार तो फ्लीट रिव्यू के साथ जंगी बेड़े की समीक्षा करता है।

जब से भारत आजाद हुआ है तब से लेकर आज तक कुल मिला कर 10 बार भारत ने इस तरह का फ्लीट रिव्यू करवा चुका है। इसके पहले यह अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर 2001 में भी हुआ था। उस समय यह पश्चिमी तट पर बसी काॅर्मिशियल-राजधानी मुम्बई मे हुआ था। और उस वक्त 39 देशों ने हिस्सा लिया था। और यह दूसरी बार है कि भारत में एक बार फिर से फ्लीट रिव्यू होने जा रहा है। इस बार यह और बड़े पैमाने पर होने कि गुंजाईस है। इसके साथ ही 39 देश इस फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेंगे। दूसरे देशों द्वारा इस आयोजन में हिस्सा लेने का मोटो यूनाईटेड थ्रू ओसियन्स रखा गया है इस मौके पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित रक्षा मंत्री और तीनो सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

भारत के इस फ्लीट रिव्यू में कुछ और भी कार्यक्रम हैं जिन्हे पूरा किया जायेगा जिसमें 4 फरवरी को आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू विशाखापट्टनम में मौजूद 1971 के युध्द स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करके 6 दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन करेगें। राज्यपाल ईएसएल नरिसम्हन 5 फरवरी को आईएफआर का विधिवत उद्घाटन करेंगे और ओपनिंग सेरेमनी भी होगी। इन सब के चलते रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पर कई सम्मेलन होंगे और भारतीय सामुद्रिक इतिहास परंपरा पर किताब का भी प्रमोशन किया जायेगा। और एडमिरल धवन ने आई एफ आर की बेवसाइट के साथ मोबाइल एप्लीकेशन को भी लाॅन्च किया जायेगा।

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