आज के ही दिन बना था विजयी विश्व तिरंगा प्यारा !
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नई दिल्ली : भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य है। मगर इसके पहले अलग-अलग रियासतें भारत के विभिन्न क्षेत्रों में राज किया करती थीं। कुछ बड़े राजा थे तो कुछ उनके अधीन छोटे राजा और सरदार थे। इसके भी पूर्व के काल में गण और जनपद व महाजनपद के अंतर्गत शासन चला करता था। उस काल में अवंती, मगध जैसे शक्तिशाली जनपद और महाजनपद हुआ करते थे। इन सभी जनपदों और राज्यों का अपना एक ध्वज था।

यह ध्वज जहां मंगल का प्रतीक था वहीं इस राज्य का प्रतीक भी था। जहां भी यह ध्वज फहराता इसका अर्थ यह रहा कि इस क्षेत्र में इस राज्य का शासन है। या इस राज्य की सेना या लोग यहां पर मौजूद हैं। स्वाधीन भारत के लिए भी राष्ट्रध्वज को अंगीकार किया गया। 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक में तिरंगे को राष्ट्रीय धवज के रूप में स्वीकार किया गया। इस राष्ट्रध्वज में देश के विभिन्न धर्मों का आचरण करने वाले निवासियों का ध्यान रखा गया साथ ही अशोक स्तंभ से अशोक चक्र की संकल्पना की गई जो कि व्यक्ति को क्रियाशील रहने का प्रतीक कहा गया।

केसरिया और हरा रंग क्रमशः त्याग और समृद्धि का प्रतीक हैं तो दूसरी ओर ये भारत के प्रमुख दो धर्मों द्वारा भी अपनाए जाते हैं। इनके बीच में सफेद रंग शांति और सद्भाव का प्रतीक है। राष्ट्रीय ध्वज की चैड़ाई और लंबाई 2 बाय 3 है। गौरतलब है कि पहले राष्ट्रीय ध्वज में बीच में अशोक चक्र के स्थान पर महात्मा गांधी का चरखा लिए जाने का प्रस्ताव था मगर बाद में अशोक चक्र को शामिल कर लिया गया।

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