खेलों में भारत की नई उड़ान
खेलों में भारत की नई उड़ान
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कभी खेलों में पिछड़ने वाला भारत देश अब खेलों के विश्व स्तरीय आयोजनों में अपनी महत्वपूर्ण मौजूदगी दर्ज करवाता है। जी हां, भारत केखिलाड़ियों  ने रियो ओलिंपिक में अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि लगभग आधी स्पर्धा तक कोई पदक अर्जित न करने को लेकर भारत के खिलाडियों को लेकर चर्चा की गई मगर फिर भारत ने इस प्रतियोगिता में कांस्य पदक और रजत पदक अर्जित किया और भारत की खिलाड़ी सिंधू और साक्षी मलिक को लेकर बात होने लगी लेकिन इसके इतर दिव्यांगों के खेल पैरालिंपिक में भी रियो में भारत ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

ये खिलाड़ी स्वर्ण पदक लेकर आए उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और वह भारत जो ओलिंपिक में स्वर्ण नहीं जीतने के कारण अब तक उदास था उसमें जोश छा गया। हालांकि भारत में अभी भी प्राथमिक स्तर पर खेलों के स्तर पर काफी कार्य किया जाना है। यहां स्थानीय स्तर पर सुविधाओं का अभाव है लेकिन इसके बाद भी खिलाड़ी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं

इतना ही नहीं भारत ने यह दिखा दिया कि उसके पास मेहनतकश लोगों की और प्रतिभाओं की कमी नहीं है। टी माॅरिप्पन और वरूण भाटी की क्रमशः स्वर्ण पदक और कांस्य पदक अर्जित करने की सफलता ने यह बता दिया है कि भारत के दिव्यांग भी हौंसलों की छलांग लगा सकते हैं। वह भारत जहां खिलाड़ियों पर राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक दबाव हो वहां के खिलाड़ी विश्व में अपनी मौजूदगी दर्ज कर रहे हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण है।

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