अफ्रीका - भारत के लिए निवेश और विकास का नया रास्ता
अफ्रीका - भारत के लिए निवेश और विकास का नया रास्ता
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यूं तो भारत और दक्षिण अफ्रीका का संबंध सदियों पुराना रहा है। दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों से बेहद प्रभावित रहे और फिर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब वकालत कर लंदन से लौटै तो उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भी वकालत की और वहां उपजी श्वेत - अश्वेत समस्या का सामना किया। मगर अब आधुनिक दौर में फिर से अफ्रीका और भारत नई इबारत लिखने के लिए तैयार है। दोनों ही देश आपसी संबंधों से एक दूसरे के हित साधने की तैयारी में हैं। जहां अफ्रीका अपनी ऊर्जा जरूरत को भारत के माध्यम से पूरा कर सकता है तो दूसरी ओर भारत के लिए अफ्रीका संकट मोचक बनकर सामने है।

सामरिक दृष्टि से चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए भारत के पास अफ्रीका एक अच्छा विकल्प है। तो दूसरी ओर भारत अफ्रीकी देशों का समर्थन हासिल कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी मजबूत कर सकता है। हाल ही में संपन्न हुआ भारत - अफ्रीका सम्मेलन भारत की अफ्रीकी देशों के साथ मजबूत साझेदारी को दर्शाता है। भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवप्रयोग का कार्य कर रहा है।

यहां पर आयुष विंग के माध्यम से सभी चिकित्सा पद्धतियों का पहले से ही उपयोग कर बेहतर परिणाम हासिल करने का कार्य किया जा रहा है लेकिन अब भारत आधुनिक मेडिसिन तकनीक और आयुर्वेद के माध्यम से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने में लगा है। ऐसे में अफ्रीका की वनस्पतियों का भंडार भारत के लिए एक बड़ी संपदा साबित हो सकता है। 

इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन दोनों ही देशों के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बेहद कारगर हो सकता है। जिस तरह से मोदी के नेतृत्व में भारत भारत की प्राचीन विधा को योरप, अमेरिका और अब अफ्रीका में फैला रहे हैं वह यही दर्शाता है कि भारत के आध्यात्म, दर्शन की विश्व को आवश्यकता है। योग और अन्य अध्ययन केंद्र खोलकर भारत अफ्रीकन लोगों को भारत के दर्शन से प्रभावित कर रहा है। 

दरअसल विश्व में उपजी सभी परेशानियों का समाधान भारत के दर्शन में है। अफ्रीका बोको हरम और अन्य विद्रोहियों द्वारा प्रेरित आतंकवाद से ग्रस्त है तो भारत पाकिस्तान प्रेरित इस्लामिक आतंकवाद से ग्रस्त है। विश्व समुदाय आतंकवाद की दृष्टि से आईएसआईएस को भी ध्यान में ला रहा है। ऐसे में अफ्रीका को भी इस संगठन को ध्यान में लाना होगा। इन राष्ट्रों द्वारा आतंकवाद के मसले पर एक साथ आना भारत के लिए मजबूती साबित हो सकता है।

पहले ही संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है अब अफ्रीकी देशों का साथ मिलने से पाकिस्तान पर दोहरा दबाव पडेगा। अफ्रीका को भारत द्वारा ऋण के तौर पर दी जाने वाली आर्थिक मदद भी भारत और अफ्रीका के संबंधों में मजबूती लाएगी। 

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