Income Tax : नए नियमों से सेविंग की दशा पर दिख सकता है उल्टा असर
Income Tax : नए नियमों से सेविंग की दशा पर दिख सकता है उल्टा असर
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आम बजट से हफ्तों या महीनों पहले से यह माना जा रहा था कि पर्सनल इनकम टैक्स कम किया जाएगा। कॉरपोरेट इनकम टैक्स रेट में पहले ही कटौती की जा चुकी थी ऐसे में पर्सनल इनकम टैक्स में भी कटौती की संभावना जताई जा रही थी। फिलहाल किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि सीधे टैक्स कम करने के बजाय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर्सनल इनकम टैक्स का एक समानांतर सिस्टम पेश कर देंगी। वही इससे पहले अगस्त में कॉरपोरेट टैक्स के मामले में भी यही किया गया था। यानी कॉरपोरेट के पास विकल्प है कि अगर वे सारी टैक्स छूट छोड़ दें तो वे घटे रेट पर टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। इसी तरह से अब व्यक्तिगत करदाताओं के पास विकल्प है कि यदि वे टैक्स छूट का फायदा न लें तो वे घटे हुए रेट पर इनकम टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। वही अब कोई व्यक्ति टैक्स छूट का कितना फायदा उठाता है उसके आधार पर उसके लिए टैक्स कम हो सकता है और कम नहीं भी हो सकता है। वही टैक्सपेयर्स को एक विकल्प दिया गया है और हर एक टैक्सपेयर को फैसला लेना है कि उसे इस विकल्प का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं।

इसके अलावा मोटे तौर पर देखें तो ऐसा लगता है कि जो लोग 10 से 12 लाख रुपये तक या 15 लाख रुपए तक कमा रहे हैं वे कम टैक्स रेट वाला नया सिस्टम चुनना चाहेंगे क्योंकि उनको कम टैक्स देना हो सकता है । इसके अलावा उनके लिए टैक्स रिटर्न फाइल करना भी सरल होगा। वहीं 25-30 लाख रुपये या इससे ज्यादा कमाने वालों के लिए कोई खास फायदा या नुकसान नहीं है। वही ऐसा नहीं है कि जितनी तरह की टैक्स छूट उपलब्ध है उसका फायदा हर कोई उठा सकेगा। फिलहाल कई तरह के उदाहरण में ऐसा मानकर कैलकुलेशन किया जा रहा है कि टैक्सपेयर्स सभी तरह की टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। लेकिन कम इनकम वालों के लिए यह व्यावहारिक नहीं है।मैं खास तौर पर इस बात को लेकर चिंतित हूं कि क्या इस वैकल्पिक टैक्स सिस्टम को अपनाने के बाद लोग बचत के प्रति उदासीन होंगे? क्योंकि लोगों को ज्यादातर ऐसे टैक्स छूट के विकल्पों को छोड़ना होगा जो सेक्शन 80 सी के तहत आते हैं। 

जैसे पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, न्यू पेंशन सिस्टम और ईएलएसएस फंड। वही इन विकल्पों में बड़े पैमाने पर लोग निवेश करते हैं क्योंकि यहां इनको टैक्स बचाने का बेहतर विकल्प मिलता है। परन्तु अगर कोई 80-सी के तहत आने वाले निवेश के विकल्पों में निवेश किए बिना ही कम टैक्स दे सकता है तो बहुत कम लोग बचत करेंगे। इसके अलावा निश्चित तौर पर यह एक समस्या है। नए टैक्स व्यवस्था के पीछे यह सोच काम कर रही है कि जो करदाता बचत करना चाहते हैं उनके पास बचत के लिए ज्यादा रकम होगी। परन्तु यह उनके ऊपर है कि क्या वे वास्तव में ऐसा करना चाहते हैं। यह अच्छा है या बुरा? इस पर अलग-अलग राय हो सकती है। फिर भी मेरा मानना है कि रिटायरमेंट से जुड़े निवेश जैसे ईपीएफ और एनपीएस टियर-1 को इसके दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए, भले ही सेक्शन 80-सी के तहत आने वाले विकल्पों को यह छूट न मिले। निश्चित तौर पर यह एक गलती है और इसे बजट पारित होने से पहले ठीक किया जाना चाहिए।

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