केले के पेड़ को पहनाते हैं साड़ी, करते हैं दुर्गा पूजन
केले के पेड़ को पहनाते हैं साड़ी, करते हैं दुर्गा पूजन
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नई दिल्ली : नवरात्रि की शुरूआत होते ही शक्ति का अलख जगने लगता है। हर कहीं देवी आराधना होने लगती है। देवी मां के 51 सिद्ध शक्तिपीठों में विशेष आराधना की जाती है तो दूसरी ओर दुर्गा पूजा के लिए जाने जाने वाले पश्चिम बंगाल और विशेषकर कोलकाता में धूम मची रहती है। आखिर क्या होता है यहां दुर्गा पूजन के दौरान। दुर्गा पूजन में किस तरह से होता है धार्मिक पूजन यह आज हम जानते हैं।

मिली जानकारी के अनुसार बंगाल की दुर्गा पूजा बहुत लोकप्रिय है। यह बंगालियों का विशेष पर्व है। देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले बंगाली समाजजन भी आश्विन मास की नवरात्रि की अष्टमी से विशेष आराधना कर दुर्गा पूजन का उत्सव मनाते हैं लेकिन नवरात्रि के 9 दिन ही बंगाली समाजजन और पश्चिम बंगाल के निवासियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। दुर्गा पूजन के लिए पश्चिम बंगाल में विशेष आयोजन किया जाता है।

सारा राज्य सजकर तैयार है। इस पर्व में दुर्गा मां का आप्पायन किया जाता है। इतना ही नहीं महाकालि मां की मूर्तियों के निर्माण के लिए विशेष तैयारियां की जाती हैं। इस पर्व में पहले दिन माता को रंग लगाया जाता है। महालया के दिन माता की आंखें बनाई जाती हैं इस परंपरा को चोक्खू दान कहा जाता है। पर्व के तहत सिंदूर खेला का आयोजन भी होता है। यहां पर पूजन के लिए केले के पेड़ का उपयोग होता है इसे साड़ी धारण करवाकर पूजन किया जाता है।

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