हिंदू मान्यता के अनुसार इस तरह करें आरती - पूजन
हिंदू मान्यता के अनुसार इस तरह करें आरती - पूजन
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हिंदू मान्यता में भगवान का पूजन अर्चन बहुत ही अहम माना जाता है। यूं तो भगवान की पाषाण, पार्थिव, धातु से निर्मित और अन्य मूर्तियों को पूजन आराधना के समय उपयोग में लिया जाता है लेकिन कई बार इनके अभाव में सुपारियों से भी भगवान का पूजन किया जाता है लेकिन इन सभी में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा और भगवान की अर्चना प्रमुख होती है। दरअसल भगवान का आह्वान सबसे महत्वपूर्ण होता है। आह्वान से भगवान की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।

जिसमें हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि हे देवेश मैं मत्र्यलोक की हित कामना से विधानपूर्वक पूजन किया जाना जरूरी है। भगवान प्रसन्न होकर आपके सामने उपस्थित हों ऐसा कह कर उनके आह्वान की प्रार्थना की जा सकती है। यही नहीं इसके बाद उन्हें बैठने के लिए आसन देना होता है और पादुकासन पर अपने चरण रखने की विनती की जाती है।

इसके बाद आसनमं कहकर उनसे प्रार्थना की जाती है। दूसरी ओर अपने आराध्य देवता पर अक्षत और रोली अर्पित की जाती है। इसके बाद भगवान के चरण धोए जाते हैं चरण धोने के लिए उनसे कहा जाता है कि मैं आपके चरण वंदन के लिए विभिन्न तीर्थों का जल लेकर आया हूं। आप इसे ग्रहण करें।

यदि तीर्थों का जल न हो तो पवित्र गंगा का जल जो कि पूजन में रखा हो उसे हम शुद्ध जल में किंचित मिलाकर उनके चरण धो सकते हैं। यह भी न हो तो अपने यहां के शुद्ध व पवित्र जल से उनके चरण धोएं। इसके बाद भगवान को सुगन्धित जल, पुष्प, सुगन्धित चंदन से युक्त अध्र्य भगवान को प्रदान करें।

इसके बाद भगवान को आचमन के लिए जल दें। भगवान की थाली में थोड़ा सा जल छोड़ दें। थोड़ा नीचे छोड़ें। इसके बाद भगवान को वस्त्र चरणों में समर्पित करें। इसके साथ यज्ञोपवित समर्पित करें। फिर भगवान को चंदन, इत्र व पुष्प समर्पित करें। उन्हों पुष्पमाला भी समर्पित करें। धूप दान और फिर दीप दान करें। फिर उन्हें कोई मिष्ठान्न, फल या फिर भगवान की प्रिय वस्तु या फिर यथाशक्ति बना हुआ पदार्थ नैवेद्य स्वरूप समर्पित करें।

भगवान को पान, सुपारी आदि कपूर चूर्ण के साथ अथवा इसके बिना भी प्रदान कर सकते हैं। इसके बाद कर्पूर आरती और पुष्मांजलि कहें कर्पूर आरती चारों दिशाओं में घूमाने के बाद सभी को दें और फिर आरती की थाल के साईड में कुछ जल छोड़ें भगवान की प्रदक्षिणा करें। इससे हर तरह के पाप जो कि ब्रह्म हत्या के समान हों वे भी मिट जाते हैं भगवान से प्रार्थना करें कि मेरी प्रदक्षिणा स्वीकार करें। भगवान पर पुष्प चढ़ाऐं और अपनी आराधना में हुई भूल के लिए क्षमायाचना करें। 

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