यह कैसा मंदिर जिसका खम्भा जमीन को छूता ही नहीं विज्ञान भी है अब तक अन्जान
यह कैसा मंदिर जिसका खम्भा जमीन को छूता ही नहीं विज्ञान भी है अब तक अन्जान
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भारत के गर्भ में कई ऐसे रहस्य छुपे हैं जिनके बारे आजतक कोई जान नहीं पाया। ऐसा ही रहस्य समेटे हुए है आंध्र प्रदेश का लेपाक्षी मंदिर। लेपाक्षी मंदिर को हैंगिंग पिलर टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कुल 70 खम्भों पर खड़ा है जिसमे से एक खम्भा जमीन को छूता नहीं है बल्कि हवा में ही लटका हुआ है। जानिए क्या है इस मंदिर का रहस्य-

कैसे पड़ा ‘लेपाक्षी’ नाम
यह मंदिर भगवान शिव, विष्णु और वीरभद्र के लिए बनाया गया है। यहां तीनों भगवानों के अलग-अलग मंदिर भी मौजूद हैं। लेपाक्षी नाम के पीछे एक कहानी है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहां आए थे। सीता का अपहरण कर रावण अपने साथ लंका जा रहा था, तभी पक्षीराज जटायु ने रावण से युद्ध किया और घायल हो कर इसी स्थान पर गिरे थे। जब श्रीराम सीता की तलाश में यहां पहुंचे तो उन्होंने ‘ले पाक्षी’ कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। ले पाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है ‘उठो पक्षी’।

साथ ही यह भी कहा जाता है कि  मंदिर को सन् 1583 में विजयनगर के राजा के लिए काम करने वाले दो भाईयों विरुपन्ना और वीरन्नाने बनाया था। वहीं, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इसे ऋषि अगस्त ने बनाया था।

16वीं सदी में बने इस मंदिर के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों में इसे शिफ्ट करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे। जब एक अंग्रेज इंजीनियर ने इसके रहस्य को जानने के लिए मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया तब यह पता चला की इस मंदिर के सभी पिलर हवा में झूलते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है की इसके नीचे से कपडा निकलने से सुख सृमद्धि बढ़ती है। दूसरी ओर, मंदिर में रामपदम (मान्यता के मुताबिक श्रीराम के पांव के निशान) स्थित हैं, जबकि कई लोगों का मानना है की यह माता सीता के पैरों के निशान हैं।

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