कैसे हुई माँ महागौरी की उत्पत्ति? यहाँ जानिए व्रत कथा
कैसे हुई माँ महागौरी की उत्पत्ति? यहाँ जानिए व्रत कथा
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22 अक्टूबर, रविवार को शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है। शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के चलते मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व बहुत अधिक होता है। परम्परा है कि नवरात्रि में यदि नौ दिन तक पूजा और व्रत न कर पाएं हो तो अष्टमी और नवमी के दिन व्रत रखकर देवी का उपासना करने से पूरे 9 दिन की पूजा का फल प्राप्त होता है। इस दिन लोग कुल देवी की पूजा के पश्चात् कन्या पूजन भी करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं माँ महागौरी की कथा।

माँ महागौरी की कथा - देवीभागवत पुराण के मुताबिक, देवी पार्वती ने राजा हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था। देवी पार्वती को 8 वर्ष की उम्र में ही अपने पूर्वजन्म के बारे में ज्ञात हो गया था और उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या शुरू कर दी थी। तपस्या के दौरान माता केवल कंदमूल फल और पत्तों का ही सेवन करती थीं। 

बाद में कई वर्षों तक माता ने सिर्फ वायु पीकर भी तपस्या की। इस कठिन तपस्या से देवी पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ था इसलिए उन्हें महागौरी कहा गया। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे गंगा स्नान करने को कहा। जिस समय मां पार्वती स्नान करने गईं तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुआ जो इनका कौशिकी रूप कहलाया तथा एक स्वरूप इनका उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं।

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