नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रारंभिक रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। अभी तक के रुझान के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) ने 50 से अधिक सीटों पर बढ़त बना ली है। वहीं कांग्रेस एक बार फिर चुनाव में अपना खाता खोलने में नाकाम रही है। जबकि यही कांग्रेस कभी शीला दीक्षित के समय राजधानी पर लगातार 15 साल शासन कर चुकी है।
साल 1998 का चुनाव दिल्ली में कांग्रेस के उभार की शुरुआत थी, इसी वर्ष शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम बनीं। इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में कुल 70 सीटों में से 52 सीटें आई थी। जबकि भाजपा को महज 15 सीटें मिली थीं। इसके बाद वर्ष 2003 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फिर जोरदार जीत मिली थी। उस चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटें प्राप्त कर एक बार फिर शीला दीक्षित के नेतृत्व में सरकार का गठन किया था।
वर्ष 2008 के चुनाव में शीला दीक्षित की अगुवाई में लगातार तीसरी बार जीत के साथ कांग्रेस सत्ता में आई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल 43 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को लगभग 40 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे। 2013 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हो गया। कॉमनवेल्थ घोटाले और अन्ना आंदोलन के बाद आम आदमी पार्टी के उदय ने दिल्ली के समीकरण को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। विधानसभा के परिणाम त्रिशंकु रहे। भाजपा को 31, आप को 28 और कांग्रेस को केवल 8 सीटें मिलीं।
2015 में दिल्ली में फिर चुनाव हुए, जिसमे पूरी तरह से आप का जलवा रहा। केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने 70 में से 67 सीटें झटक लीं और 3 सीटें भाजपा को मिली, वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका। 2020 में हुए चुनाव में भी कांग्रेस की स्थिति 2015 जैसी ही है। जो देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए बेहद चिंता का विषय है।
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