नई दिल्ली: इशरत जहां मुठभेड़ मामले से जुड़ी लापता फाइलों से संबंधित मामले को देखने वाली एक सदस्यीय समिति का ब्योरा जाहिर करने से पहले गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई कार्यकर्ता को खुद को पहले यह साबित करने को कहा है कि वह भारतीय है।
गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बी के प्रसाद इस जांच समिति की अध्यक्षता कर रहे है. मंत्रालय में दायर की गई आरटीआई याचिका में प्रसाद को दिए गए सेवा विस्तार से जुड़ी फाइलों का ब्योरा और समिति की ओर से पेश की गई रिपोर्ट की कॉपी मांगी थी।
इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि इससे पहले आप अपनी भारतीयता का सबूत दें. बता दें कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत केवल भारतीय नागरिक ही सूचना मांगने का हकदार है. आम तौर पर इस मामले में भारतीय होने की प्रमाणिकता नहीं मांगी जाती, लेकिन यदि जन संपर्क अधिकारी को थोड़ा संदेह हो तो वो ऐसी जानकारी जरुर मांग सकता है।
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दूबे ने कहा कि यह सरकार की ओर से सूचना के निर्वाध प्रवाह और पारदर्शिता का मार्ग अवरूद्ध करने का तरीका है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि गृह मंत्रालय सूचना देने में देरी करना चाहता है. जांच समिति की अध्यक्षता करने वाले बी एस प्रसाद 1983 कैडर बैच के आईएएस अधिकारी है, उन्हें 31 मई को सेवा निवृत होना था।
लेकिन फिलहाल उन्हें 2 माङ का सेवा विस्तार देकर रोका गया है. मार्च में सदन में हंगामा होने के बाद गृह मंत्रालय ने प्रसाद से लापता फाइलों से जुड़े मामलों की जांच करने को कहा था।