जानिये, होलिका दहन की पूर्ण कथा
जानिये, होलिका दहन की पूर्ण कथा
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आपने होली खेलने की तैयारी तो कर रहे है. लेकिन क्या आपको होलिका दहन की पूरी कहानी पता है. अगर आपका जवाब है नहीं तो कोई बात नहीं आज हम आपको होलिका दहन की पूरी कथा बताएंगे. ताकि आप अपने त्यौहार अपनी संस्कृति को पहचान पाए.

हर साल होली की पूर्व संध्या, यानी फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी के दिन हम होलिका दहन करते है. इसके पीछे सबसे प्रचलित कथा ये है की सालो पहले धरती पर अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यपु का राज-पाठ था. उसने अपने राज्य में ये आदेश दिया की कोई भी व्यक्ति ईश्वर की पूजा नहीं करेगा.

वह खुद को भगवान से ऊपर मानता था. वही राजा का पुत्र प्रहलाद काफी भक्तिमय इंसान था. वह हर समय ईश्वर की वंदना में लीन रहता था. कई बार अपने पिता के समझाने पर भी भक्त प्रह्लाद ने ईश्वर की वंदना करना नहीं छोड़ा. ऐसे में राजा ने अपने बेटे को सबक सिखाने की ठानी.

राजा ने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बिठा दोनों को अग्नि के हवाले कर दिया. दरअसल होलिका को वरदान प्राप्त था की वह कभी भी आग में जल कर भस्म नहीं होगी. लेकिन भक्त प्रहलाद की अपार श्रद्धा और भक्ति के आगे होलिका अग्नि में जल कर ख़ाक हो गयी.

भक्त प्रहलाद बच निकले. तब ही से बुराई पर अच्छी की जीत के तौर पर हार साल होलिका दहन किया जाता है. ताकि समाज से सारी बुराई का नाश हो और अच्छी की जीत हो.

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