इस बार 9 मार्च सोमवार को होलिका दहन के समय भद्राकाल की बाधा नहीं रह सकती है। इसके साथ ही फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन भद्राकाल सुबह सूर्योदय से शुरू होकर दोपहर करीब डेढ़ बजे ही खत्म हो जा सकता है। वहीं इस तरह शाम को प्रदोष काल में यानी शाम 6:30 से 7:20 तक किया जा सकेगा। वहीं पूर्णिमा तिथि रात 11 बजे तक रह सकती है ।
शुभ योग
9 मार्च को सोमवार व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र होने से इस दौरान ध्वज योग रह सकता है , जो यश-कीर्ति व विजय प्रदान करने वाला होता है। वहीं सोमवार को पूर्णिमा तिथि होने से चंद्रमा का प्रभाव ज्यादा रहेगा। क्योंकि सोमवार को चंद्रमा का दिन माना जाता है। इसके साथ ही स्वराशि स्थित बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी।वहीं जिससे गजकेसरी योग का प्रभाव रह सकता है । तिथि-नक्षत्र और ग्रहों की विशेष स्थिति में होलिका दहन पर रोग, शोक और दोष का नाश तो हो सकता है शत्रुओं पर भी विजय मिल सकती है ।
भद्रा काल
9 मार्च सोमवार को भद्रा का वास मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर रह सकता है , परन्तु भद्राकाल सुबह 6:37 से शुरू होकर दोपहर 1:15 तक ही रह सकता है । वहीं शाम को प्रदोषकाल में होलिका दहन के समय भद्राकाल नहीं होने से होलिका दहन शुभ फल देने वाला रहेगा। जिससे रोग, शोक और दोष दूर होंगे।
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