पूरी तहसील का एकमात्र जलस्त्रोत है ये झील, फिर भी इसका पानी इस्तेमाल नहीं कर रहे लोग
पूरी तहसील का एकमात्र जलस्त्रोत है ये झील, फिर भी इसका पानी इस्तेमाल नहीं कर रहे लोग
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बंगलुरु:  कर्नाटक के मोराब में जो झील कभी लोगों के लिए पानी का एकमात्र स्त्रोत हुआ करती थी, उसे ही आज लोगों ने उपयोग करना छोड़ दिया है, ऐसा इसलिए है क्योंकि एचआईवी से संक्रमित गांव की एक महिला ने इस झील में कूदकर ख़ुदकुशी कर ली थी. यह घटना करीब एक हफ्ते पहले की है, अब प्रशासन 36 एकड़ की इस झील से पानी निकलने में लगा है,  पानी को निकालने के बाद इस नहर को दोबारा भरा जाएगा.

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उल्लेखनीय है कि मोराब झील नवलगुंद तालुका की सबसे बड़ी झील है और लोगों और पशुओं के पीने के पानी का एकमात्र जल स्त्रोत है, अब लोग 2-3 किमी दूर मलाप्रभा नहर से पानी ला रहे हैं. मामले पर धारवाड़ जिले के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर राजेंद्र दोड्डामनी ने कहा है कि, "यह दुर्भाग्य है, हम लोगों को कह रहे हैं कि एचआईवी पानी की वजह से नहीं फैलता,  लेकिन लोग मान ही नहीं रहे हैं." 

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आपको बता दें मानव के शरीर के बाहर एचआईवी का वायरस हवा और पानी में अधिक देर तक जिन्दा नहीं रहता,  यह केवल मां के दूध और शारीरिक संबंध बनाने से ही फैल सकता है.  आशा फाउंडेशन के फाउंडर डॉक्टर ग्लोरी एलेक्जेंडर का कहना है कि, "यह मामला संक्रमण से कम उसके डर से अधिक जुड़ा हुआ है, यह सब जानकारी की कमी के कारण हो रहा है, जब किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु होती है तो वायरस भी अपने आप खत्म हो जाता है.

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