चेन्नई: 18 फरवरी को हालांकि पलानी सामी ने तमिलनाडु विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर दिया। लेकिन इस मौके पर जो कुछ भी हुआ उससे यह सवाल उठता है कि यह विधानसभा है या गुंडागर्दी का अड्डा।
विश्वासमत प्रस्ताव पर मत विभाजन से पहले डीएमके के विधायकों ने अध्यक्ष का माइक उखाड़ा और एआईडीएमके के विधायकों पर कुर्सियां फेंकी। इस घटना से पहले अध्यक्ष ने कहा था कि निष्पक्ष कार्यवाही के लिए विधायकों को पूरी सुरक्षा दिलवाएंगे।
लेकिन डीएमके के विधायकों ने अध्यक्ष के कपड़े ही फाड़ दिए। यह सही है कि पुलिस सभ्य व्यक्ति को गुंडों से बचा सकती है, लेकिन जब विधानसभा में विधायक ही गुंडागर्दी करें तो पुलिस क्या कर सकती है?
पलानी सामी तभी अपना बहुमत साबित कर सके जब सुरक्षा कर्मियों के जरिए डीएमके के विधायकों को सदन से बाहर फेंकवाया गया। कांग्रेस के 8 विधायकों ने वॉकआउट किया।
शशिकला द्वारा बनाए गए सीएम पलामी सामी को 122 विधायकों के वोट मिले, जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े। यह कहा जा सकता है कि सामी के प्रतिद्वंदी पनीर सेल्वम शशिकला के जेल चले जाने के बाद भी विधायकों को अपने पक्ष में नहीं कर सके।
अब यह भी साफ हो गया है कि शशिकला बैंगलूरू की जेल से ही पलानी सामी की सरकार चलाएंगी। मालूम हो कि आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला और तीन अन्य को चार साल की सजा दी है।
और पढ़े-
पालानीसामी बने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री
पन्नीरसेल्वम ने शशिकला को पार्टी से निकाला!