गुप्त नवरात्रि में करें प्रलय एवं संहार का पूजन, होगा कल्याण
गुप्त नवरात्रि में करें प्रलय एवं संहार का पूजन, होगा कल्याण
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आप सभी को बता दें कि आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा 3 जुलाई 2019 से हो रहा है और गुप्त नवरात्रि में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं मां काली की पूजा का विधान है. ऐसे में गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त सिद्धियों को अंजाम देते हैं और चमत्कारी शक्तियों के स्वामी हो जाते हैं. वहीं सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक कार्य आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान बनाया गया है और पृथ्वी को कलश का रूप माना जाता है.

आप सभी को बता दें कि कलश स्थापना के उपरांत कोई भी शुभ काम करें वह देवी-देवताओं के आशीर्वाद से निश्चिंत रूप से सफल हो जाता है और प्रथम गुप्त नवरात्रि में दुर्गा पूजा का आरंभ करने से पूर्व कलश स्थापना करने का विधान है. वहीं मां दुर्गा का पूजन बिना किसी विध्न के कुशलता पूर्वक संपन्न हो और मां अपनी कृपा बनाएं रखें. अब कलश स्थापना के उपरांत मां दुर्गा का श्री रूप या चित्रपट लाल रंग के पाटे पर सजाएं और उसके बाद उनके बाएं ओर गौरी पुत्र श्री गणेश का श्री रूप या चित्रपट विराजित करें. अब पूजा स्थान की उत्तर-पूर्व दिशा में धरती माता पर सात तरह के अनाज, पवित्र नदी की रेत और जौं डालें और कलश में गंगाजल, लौंग, इलायची, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, अक्षत, हल्दी, सिक्का, पुष्पादि डालें.

ध्यान रहे कि आम, पीपल, बरगद, गूलर अथवा पाकर के पत्ते कलश के ऊपर सजा दें. इसी के साथ जौ अथवा कच्चे चावल कटोरी में भरकर कलश के ऊपर रखें उसके बीच नए लाल कपड़े से लिपटा हुआ पानी वाला नारियल अपने मस्तक से लगा कर प्रणाम करते हुए रेत पर कलश विराजित करें. अब अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें जो पूरे नौ दिनों तक जलती रहे और विधि-विधान से पूजन किए करें.

गुप्त नवरात्रि में जरूर करें इस कथा का श्रवण

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