नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत का बड़ा वर यह चाहता है कि जीएसटी की दर 20 फीसदी से कम रखी जाए .इसके अलावा महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए बैंकिंग, दूर संचार, हेल्थ केयर और रेलवे जैसी सेवाएं विशेष क्षेत्र में शामिल हो.
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत के अनुसार कोई भी कर सुधर तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक केंद्र और राज्य दोनों का राजस्व सुनिश्चित न हो. इसी तरह जीएसटी के मामले में न्यूट्रल रेवेन्यू रेट(एनआर आर) का निर्धारण कर संग्रहण के स्तर में उछाल को ध्यान में रख कर करना होगा. एनआरआर वह दर जिस पर केंद्र और राजस्व को कोई राजस्व नुकसान नहीं होगा.
राजस्व सचिव हसमुख अढिया के अनुसार अगले साल 1 अप्रैल से जीएसटी लागू होने का भरोसा है. ऐसे में अगर टेक्स की दर व वस्तु एवम सेवाओं की छूट के बारे में अगर निर्णय लेने में देरी हुई तो समयसीमा में पूरा करना मुश्किल हो सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार जीएसटी लागू होने पर लॉजिस्टिक्स सेक्टर को सालाना 200 अरब डॉलर यानी करीब 13 लाख 40 हजार करोड़ रुपए की बचत होने का आसार है. बता दें की जीडीपी में इस क्षेत्र की 14 फीसदी हिस्सेदारी है.