माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था
माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था
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श्रावण माह की तृतीया तिथि को मनाई जाती है 'हरियाली तीज'। विशेष तौर पर मध्यप्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला यह पर्व आस्था, उमंग, सौंदर्य और प्रेम का मिला जुला रूप है।

इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। कहा जाता है कि यदि विधि-विधान से पूजा की जाए तो मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी। इस दिन से जुड़े कई रीति-रिवाज प्रचलित हैं।

विवाहित स्त्रियां तो इस दिन व्रत और पूजन करती ही हैं, साथ में जिन कुंवारी कन्याओं की सगाई हो जाती है वो भी इस पर्व पर पूजा-अर्चना करती हैं।

दांपत्य जीवन को खुशहाल रखने के लिए हरियाली तीज का पर्व सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। इस दिन विवाहित महिलाओं को उनके परिजन और पति उपहार देते हैं। इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं। महिलाएं 16 श्रृंगार करने के बाद शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।

हरियाली तीज की पूजा से सुहागन स्त्री को सौभाग्य और अविवाहित कन्या को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। श्रावण के मनमोहक मौसम में मनाई जाने वाली हरियाली तीज प्रकृति को भी समर्पित होती है। मप्र, राजस्थान के अलावा यह पर्व संपूर्ण उत्तर भारत में मनाया जाता है। लेकिन वहां इसके नाम अलग-अलग होते हैं।

मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था। तब भगवान शिव ने उनके तप से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया था।

कहते हैं श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन माता पार्वती ने सौ वर्षों के तप उपरान्त भगवान शिव को पति रूप में पाया था। इसी मान्यता के अनुसार महिलाएं माता पार्वती का पूजन करती हैं।

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