चेन्नई: क्या आपको पता है की किन्नर भी विवाह करते है. और वह भी अपने भगवान से, यह कहानी जो की पौराणिक महाभारत के युद्ध से संबंधित है. हम आपको बता रहे अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है. अगर आपको इसकी और अधिक जानकारी प्राप्त करना है तो इसके लिए आपको हिजड़ों की शादी का जश्न देखने के लिए तमिलनाडु के कूवगाम जाना होगा. यहां पर हर वर्ष यह उत्सव आयोजित होता है. जो की तमिलो के नववर्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर 18 दिनों तक चलता है. व इसमें 17 वें दिन किन्नरों की शादी होती है. पंडित इसमें इन सजे धजे किन्नरों की शादी की क्रिया को संपन्न कराते है
इन्हे मंगलसूत्र भी बांधा जाता है जिसके बाद यह विवाह हो जाता है. इसके बाद भगवन इरावन की मूर्ति को घुमाया जाता है. तथा बाद में इरावन की मूर्ति को तोड़ दिया जाता है. किन्नर इसके बाद अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा के समान विलाप करते है. इसके पीछे एक पुरानी कथा है की अनादिकाल में महाभारत के युद्ध में माँ काली की पूजा में राजकुमार की बलि की आवश्यकता था कोई भी राजकुमार इसके लिए तैयार नही था. तब इरावन ने कहा की में बलि के लिए तैयार हु. परन्तु इरावन ने शर्त रखी की में शादी के बाद ही बलि पर चढूंगा.
पांडवो के लिए समस्या हो गई की कौन राजकुमारी इरावन से शादी करेगी. व अगले दिन विधवा बन जाएगी. फिर भगवान श्रीकृष्ण ने इसके लिए स्वयं मोहिनी रूप धारण किया व इरावन से विवाह किया। अगले दिन सुबह इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया. तभी से यह प्रथा चली आ रही है. जिसमे किन्नर एक रात के लिए विवाह करते है.