गीता नें मजबूत इरादों से रचा इतिहास, छत्तीसगढ़ी में लिखी उपनिषद
गीता नें मजबूत इरादों से रचा इतिहास, छत्तीसगढ़ी में लिखी उपनिषद
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रायपुर: कहा जाता हैं की यदि किसी के इरादे मजबूत हो तो वो हर परेशानियों को पार करके किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता हैं. ऐसा ही कुछ उदाहरण पेश किया हैं गीता शर्मा ने जिन्होनें छत्तीसगढ़ी भाषा में उपनिषद लिखकर पूरे छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित कर दिया हैं.

गीता नें इशादि नौ उपनिषद में ईश उपनिषद, केन उपनिषद्, कठ उपनिषद्, प्रश्न उपनिषद्, मुण्डक उपनिषद्, ऐतरेय उपनिषद्, तैत्तिरीय उपनिषद् और श्वेताश्वेतरो उपनिषद् को एक पुस्तक में 424 पन्नों में समेटने काम किया है. साथ ही सभी उपनिषद् अलग अलग खंड में लिखे गए हैं. गीता एक घरेलु महिला हैं. गीता बताती हैं की उन्हें उपनिषद लिखने की प्रेरणा उनके पिता एके त्रिपाठी से मिली, जो कि राज्य सरकार द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार हैं. 

गीता नें आगे बताया की उन्हें अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा से बहुत ही लगाव हैं. इसलिए उन्होंने खास उपनिषद् के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा का ही चुनाव किया. गीता ने उन्होंने बीएससी (विज्ञान), एमए (इतिहास) में किया हुआ है. गीता आगे कहती हैं की वे इस महारत को हासिल करने का श्रेय निशांत आनंद शुक्ला को देती हैं, जिन्होंने उन्हें लिखने के लिए पल-पल मोटिवेट किया. क्यूंकि छत्तीसगढ़ी में  उपनिषद लिखना कोई आसान काम नही था क्यूंकि सारे उपनिषद संस्कृत में होते हैं. इसलिए पहले उन्हें संस्कृत से हिंदी और फिर हिंदी से छत्तीसगढ़ी में कई शब्दों का मतलब निकालना पढ़ा. जिसके लिए उन्हें बहुत सारे शब्द कोष का अध्ययन करना पढ़ा. गीता अपने इस कदम से इसलिए भी बहुत खुश हैं क्यूंकि अब पूरा छत्तीसगढ़ अपनी भाषा में उपनिषद पढ़ सकेगा.

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