आखिर कैसे पृथ्वी पर आईं थीं माँ गंगा?, जानिए पौराणिक कथा
आखिर कैसे पृथ्वी पर आईं थीं माँ गंगा?, जानिए पौराणिक कथा
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गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) का पर्व आज मनाया जा रहा है। जी हाँ, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 09 जून दिन गुरुवार को यह पर्व है। आप सभी को बता दें कि गंगा दशहरा के दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। ऐसे में इस साल गंगा दशहरा पर गजकेसरी योग, लक्ष्मी योग और रवि योग बन रहा है, इन दिन पुष्य नक्षत्र भी है। वहीं गंगा दशहरा पर आप गंगा स्नान के बाद पूजा पाठ करें और दान कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अब आज हम जानते हैं गंगा दशहरा की कथा के बारे में।

पौराणिक कथा- कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दे दिया था, जिससे वे भस्म हो गए थे। उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी का झूठा आरोप लगाया था। 60 हजार पुत्रों के भस्म ​होने की खबर ने राजा सगर को स्तब्ध और शोकाकुल कर दिया। राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष प्रदान कराने के लिए उनके ही कुल के राजा भगीरथ ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की। ब्रह्म देव ने राजा भगीरथ को वर मांगने को कहा, तो उहोंने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराने का वर मांगा। ब्रह्म देव ने कहा कि इसके लिए तुम भगवान शिव को प्रसन्न करो, वे ही एक मात्र व्यक्ति हैं, जो गंगा के वेग और भार को वहन कर सकते हैं। फिर भगीरथ ने अपने कठोर तप से भगवान महादेव को प्रसन्न किया।

उन्होंने राजा भगीरथ को वर मांगने को कहा, तो उन्होंने ब्रह्मा जी की बात बताई। शिव जी तैयार हो गए। स्वर्ग लोक में बहने वाली गंगा को ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से छोड़ा, तो वे बड़ी तीव्र गति से आगे बढ़ीं। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समेट कर बांध लिया। अब समस्या यह हो गई कि वह शिव की जटाओं से बाहर ही नहीं निकल पाईं। फिर राजा भगीरथ ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और मां गंगा को अपनी जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित होने का आशीर्वाद प्रदान करने का निवेदन किया। इसके बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर पृथ्वी पर अवतरित हुईं। आगे आगे राजा भगीरथ और उनके पीछे पीछे मां गंगा पृथ्वी पर प्रवाहित होने लगीं। मां गंगा के स्पर्श से राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हुआ और उनको मोक्ष प्राप्त हुआ। तब से ही मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगीं और उनके स्पर्श से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता आ रहा है।

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