Apr 15 2017 06:00 AM
गणपति को मनाना है या उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर सभी मनोरथों को पूरा करना है तो फिर कम से कम बुधवार के दिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ श्रद्धालुओं को जरूर करना चाहिए। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ सरल है, लेकिन उच्चारण सही रूप से किया जाए तो ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।
गणेश अथर्वशीर्ष की शुरूआत अथर्वण वेदीय शांतिपाठ से होता है। इसका अर्थ यह है कि हे देव गण, हम अपने कानों से शुभ कल्याणकारी वचन ही सुनें; निंदा, चुगली, या दूसरी पाप की बातें हमारे कानों में न पड़े। इसी अथर्वशीर्ष में श्री गणेश के जहां विविध मंत्र दिए होते है तो वहीं मनोरथों को पूरा करने वाले कुछ सिद्ध स्त्रोत भी है। जिनका पाठ करने से मनोरथ अवश्य ही पूरे होते है।
मंत्रों की शक्ति....भूत पिशाच भी हो जाए काबू में
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