शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक, यहाँ जानिए शारदीय नवरात्री से जुड़े हर सवाल का जवाब
शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक, यहाँ जानिए शारदीय नवरात्री से जुड़े हर सवाल का जवाब
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साल में 4 बार नवरात्रि पड़ती है- माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन. आश्विन की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के वातावरण से तमस का अंत होता है, नकारात्मक माहौल की समाप्ति होती है. शारदीय नवरात्रि से मन में उमंग तथा उल्लास की वृद्धि होती है. दुनिया में सारी शक्ति नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है इसलिए नवरात्रि में देवी की आराधना ही की जाती है तथा देवी शक्ति का एक स्वरूप कहलाती है, इसलिए इसे शक्ति नवरात्रि भी कहा जाता है. नवरात्रि के 9 दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिसे नवदुर्गा का स्वरूप कहा जाता है. इस बार शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से आरंभ होने जा रही है तथा समापन 24 अक्टूबर को होगा और 10वें दिन दशहरा मनाया जाता है.

शारदीय नवरात्रि की तारीख और शुभ मुहूर्त:-
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर, रविवार से आरम्भ होने जा रहे हैं. नवरात्रि की अष्टमी 22 अक्टूबर को एवं नवमी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस नौ दिन के उत्सव का समापन 24 अक्टूबर यानी दशहरे के दिन होगा. शारदीय नवरात्रि सबसे बड़ी नवरात्रि में से मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसका एक मुहूर्त होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, आश्विन माह की प्रतिपदा तिथि 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर आरम्भ होगी तथा प्रतिपदा तिथि का समापन 15 अक्टूबर को रात 12 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदयातिथि के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि इस बार 15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.

नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पंचांग के मुताबिक शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस वर्ष 48 मिनट ही रहेगा.

घटस्थापना तिथि- रविवार 15 अक्टूबर 2023
घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक

घटस्थापना या कलशस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री:-
सप्त धान्य (7 तरह के अनाज), मिट्टी का एक बर्तन, मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल), पत्ते (आम या अशोक के), सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र, पुष्प

शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना की विधि:-
नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है. इस दिन लोग अपने सामर्थ्य मुताबिक 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं. संकल्प लेने के पश्चात् मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है तथा इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है. सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा का विधान बताया गया है तथा कलश को प्रभु श्री गणेश का रूप माना जाता है इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है. कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर रख दें. तत्पश्चात, देवी-देवताओं का आवाहन करें. कलश में सात प्रकार के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को पांच तरह के पत्तों से सजा लें. इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर स्थापित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें इस के चलते अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें. अंत में देवी मां की आरती करें तथाप्रसाद को सभी लोगों में बाट दें.

शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां:-
15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          
23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

इस बार मां दुर्गा की क्या है सवारी?
इस साल मां हाथी पर सवार होकर आ रही हैं ऐसे में इस बात के प्रबल संकेत प्राप्त हो रहे हैं कि, इससे सर्वत्र सुख संपन्नता बढ़ेगी. इसके साथ ही देश भर में शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में कामयाबी प्राप्त होगी. यानी कि पूरे देश के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होने वाली है.

नवरात्रि में राशि अनुसार मंत्र और प्रसाद-
मेष- मालपुए का भोग लगाएं, ॐ दुं दुर्गाय नम: का जाप करें।
वृषभ- रबड़ी का भोग लगाएं और ॐ गौरी नम: का जाप करें।          
मिथुन- पपीते का भोग लगाएं और ॐ धात्री नम: का जाप करें।
कर्क- दूध का भोग लगाएं और ॐ जया नम: का जाप करें।
सिंह- अनार का भोग लगाएं और ॐ मंगलाकाली नम: का जाप करें।
कन्या- खीर का भोग लगाएं और ॐ विजया नम: का जाप करें।
तुला- सिंघाड़े का भोग लगाएं और ॐ लक्ष्मीभ्यो नम: का जाप करें।
वृश्चिक- गुड़ की वस्तु का भोग लगाएं और ॐ शिवाय नमः का जाप करें।
धनु- पान का बीड़ा चढ़ाएं और ॐ गजननाये नम: का जाप करें।
मकर- नारियल भेंट रखें और ॐ मेधायै नम: का जाप करें।
कुंभ- हलवा के भोग लगाएं और ॐ स्वधायै नम: का जाप करें।
मीन- पंचमेवे का भोग लगाएं और ॐ पद्‍मायै नम: का जाप करें।

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