तेजी से बढ़ रहा है मेघा ट्रॉपिक्स-1 के टूटने का डर
तेजी से बढ़ रहा है मेघा ट्रॉपिक्स-1 के टूटने का डर
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपना जीवनकाल पूरा कर चुके मेघा ट्रॉपिक्स-1 (Megha Tropics-1) उपग्रह को 7 मार्च को पृथ्वी की निचली कक्षा में दोबारा प्रवेश कराने के चुनौतीपूर्ण अभियान को पूरा करने की तैयारी में लगे हुए है। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराने के उपरांत  इस उपग्रह को प्रशांत महासागर में गिराया जाने वाला है। दरअसल, अपना जीवनकाल पूरा कर चुके इस उपग्रह के टूटकर गिरने का खतरा हर दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है।

12 अक्टूबर 2011 को एमटी1 का प्रक्षेपण किया था: खबरों का कहना है कि ISRO और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी CNEC ने उष्णकटिबंधीय मौसम और जलवायु अध्ययन के लिए 12 अक्टूबर 2011 को संयुक्त रूप से MT1 का प्रक्षेपण कर लिया गया था। बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को एक बयान में बोला है कि इस उपग्रह का जीवनकाल मूल रूप से तीन वर्ष का था, लेकिन यह 2021 तक क्षेत्रीय और वैश्विक जलवायु मॉडल के साथ एक दशक से अधिक समय तक अहम डेटा सेवाएं उपलब्ध भी करवा रहा है।

दुर्घटनावश टूटने का खतरा: बयान में इस बारें में कहा गया है नियंत्रित तरीक से इसे पृथ्वी के वायुमंडल में एक सुरक्षित क्षेत्र में दोबारा प्रवेश करने वाला है। तकरीबन 1,000 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह में तकरीबन 125 किलोग्राम ईंधन बचा है इससे इसके दुर्घटनावश टूटने का खतरा पैदा होने वाला है। आम तौर पर बड़े उपग्रह/रॉकेट को दोबारा प्रवेश नियंत्रित तरीके से कराया जाता है ताकि जमीन पर किसी के हताहत होने का जोखिम सीमित किया जा सके। इस उपग्रह को गिराने के लिए प्रशांत महासागर में एक निर्जन स्थान को भी चुन लिया गया है।

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