राष्ट्रपति से भी ज्यादा कमाता है FCI का मजदूर, कोर्ट ने जताया आश्चर्य
राष्ट्रपति से भी ज्यादा कमाता है FCI का मजदूर, कोर्ट ने जताया आश्चर्य
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नई दिल्ली : आपको यह जान कर बेहद आश्चर्य होगा कि भारतीय खाद्द निगम (एफसीआई) के एक मजदूर की तनख्वाह देश के राष्ट्रपति से भी ज्यादा है। इस मामलें में संज्ञान देश की सर्वोच्च अदालत ने लिया है। एफसीआई का एक मजदूर प्रति माह मेहनताना के रुप में साढ़े 4 लाख रुपए कमाता है। आपको और मुझे ही नही इस बात पर शीर्ष अदालत भी चौंक गई। कोर्ट ने सरकार से कहा कि एफसीआई में धांधली अपने चरम पर है।

 वहां की दुर्दशा बेहद सोचनीय और निराशाजनक है। सरकार इसे दुरुस्त करने के लिए क्या-क्या कदम उठा रही है, इसकी जानकारी कोर्ट को दें। चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर ने इस बात पर हैरानी जताते हुए कहा कि कैसे कोई बोरा ढोने वाला मजदूर महीने में साढ़े 4 लाख की कमाई कर सकता है। वो एक मजदूर है या फिर कांट्रैक्टर। शीर्ष अदालत ने बांबे हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एफसीआई वर्कर्स यूनियन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन के वकील से पूछा आप तो आज भारत के राष्ट्रपति से भी ज्यादा कमा रहे हैं। पीठ ने बताया कि शांता कुमार की अगुवाई वाली उच्च स्तरीय कमेटी (एचसीएल) ने भी एफसीआई के कामकाज में असंतोष जताया था। कोर्ट ने कहा कि एफसीआई को प्रत्येक वर्ष 1800 करोड़ का नुकसान हो रहा है। यहां के विभागीय श्रमिक मजदूरों को काम पर लगा रहे है। एफसीआई के वकील ने कहा कि कई ऐसे लाभ है जिससे एफसीआई के कर्मचारी माह में 1.1 लाख रुपए तक कमा लेते है। एक औसत मजदूर भी 79,000 रुपये तक कमा लेता है।

इस पर अदालत ने पूछा कि क्या आप इसे चालू रखना चाहते हैं। ये लोग तो किसी राजपत्रित अधिकारी से ज्यादा कमाई कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि भारत सरकार इस पर क्या कर रही है? वह हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर क्या कदम उठा रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील रणजीत सिंह को भी चेताते हुए कहा कि यदि आप एचसीएल की बात नही सुनेंगे तो हमअदालत की ओर से पूर्व जजों की एक अच्च स्तरीय कमेटी बना देंगे।

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