बरेली: मुस्लिम समाज में मर्दों द्वारा तीन बार तलाक बोले जाने पर महिलाओं को तलाक दिए जाने की बात तो सभी जानते हैं , लेकिन हाल ही में यह बात सामने आई है कि अगर किसी मुस्लिम महिला का पति शराबी है, दूसरे ऐब है, बीमार या अक्षम है तो मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक दे सकती है. इस बारे में दरगाह आला हजरत दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम के मुफ्ती सलीम नूरी ने हाल ही में एक फतवा जारी किया है.
अब तक यही आम धारणा थी कि तलाक का हक सिर्फ पति को है महिला तलाक नहीं दे सकती. लेकिन अब शरीयत के हवाले से दरगाह आला हजरत दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम के मुफ्ती सलीम नूरी ने हाल ही में एक फतवा जारी कर यह बात साफ कर दिया है और' तफवीजे़ तलाक ' कहे जाने वाले इस हक की शर्तें भी बताई हैं. इसमें कहा गया है कि अगर किसी मुस्लिम महिला का पति शराबी है, दूसरे ऐब है, बीमार या अक्षम है तो मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक दे सकती है. बशर्ते निकाह के वक्त उसने अपने पति से यह अख्तियार हासिल किया हो.
इस बारे में एक विशेष उल्लेख का जिक्र करना जरुरी है. हुआ यूँ कि मुफ्ती सलीम नूरी से मैनचेस्टर (अमेरिका) से मौलाना असद मसूद ने दो साल पहले ने सवाल किया था कि जब इस्लाम में औरत और मर्द को बराबर का हक है, तो महिला तलाक क्यों नहीं दे सकती. इसी मसले पर 22 दिन पहले कानपुर के फहीम रजा ने फिर सवाल किया था कि क्या औरत तलाक का अख्तियार ले सकती है और अगर शौहर अख्तियार दे दे तो वो तलाक देने की हकदार है या नहीं.
इस पर मुफ्ती सलीम नूरी का जवाब था कि फिकही जबान में इसको तफवीजे़ तलाक कहते हैं. इसकी कुछ खास शर्तें रखी हैं जिसका उल्लेख फिकही किताबों में मौजूद है. इस आधार पर मुस्लिम महिलाएं भी तलाक दे सकती है.