अल्फ़ाज़ भी खत्म हो जाएंगे...आपकी तारीफ क्या करूँ पापा ये दिन भी कम पड़ जाएंगे
अल्फ़ाज़ भी खत्म हो जाएंगे...आपकी तारीफ क्या करूँ पापा ये दिन भी कम पड़ जाएंगे
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पापा, पिता जी....डैड, पा ऐसे ही न जाने कितने नामों से हम अपने फादर को बुलाते है। दुनिया भर में आज ही के दिन फादर्स डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। वैसे तो कहने में ये शब्द बड़ा ही छोटा लगता है। लेकिन असल में इसके मायने बहुत बड़े है।  

एक पिता के होने से परिवार पूरा होता है, एक पिता के होने से घर संसार होता। 
यदि न हो बच्चे पर पिता का साया तो वो बच्चा अनाथ होता है।।। 

आज  हम आपको इस फादर्स डे पर पिता के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे है। जो बेशक आपके दिल को छू जाएगी। तो चलिए जानते है कि इस पूरे संसार में मां के बाद क्या होती है पिता की भूमिका....

एक जिम्मेदार व्यक्ति: पिता वो व्यक्ति है जो अपने परिवार कई सारी जिम्मेदारी उठाकर चलता है। घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन रात एक कर देता है।

घर भर का सारा बेड़ा अपने कंधो पर उठा लेता।
ये पिता है जनाब घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए दिन रात एक करता है।।।

घर में किस को किस चीज की जरूरत है इस बात को पिता से ज्यादा और कोई भी भी जानता है। घर के बड़े हो या फिर बच्चे...सबके लिए खुद को साबित करता है। 

घर का मुखिया: आज के बदलते दौर में बहुत ही चीजें बदली है, और इसी बदलते दौर के साथ पिता की भूमिका भी बदलती हुई दिखाई दे रही है।।।एक समय था जब घर की हर एक बात पिता की मंजूरी के बिना हो ही भी पाती थी, फिर वह घर का रिनोवेशन का काम हो या किसी का ब्याह। पिता कोई मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था। है छोटे बड़े निर्णय के लिए पिता की अनुमति की आज भी जरूरत होती है। क्यूंकि पिता के बिना ये जिंदगी अधूरी है। 

जब आती है घर पर मुसीबत तब ढाल बन जाते है पापा: ये बात शायद किसी को बताने केके जरूरत नही कि पापा की भूमिका क्या होती है। जब भी घर में आती कोई मुसीबत तब पापा की ही परछाई साथ होती है। कभी घर में पड़ जाए खाने के लाले तब भी हार नहीं मानते, खुद भूखे सो जाते है लेकिन बच्चोंं को भूखा नही सुलाते। खुद का पेट काट कर घर चलाते, मुसीबत के समय पिता ही है जो ढाल बन जाते है। 

बच्चों की ख्वाहिशों से लेकर बच्चे की पढ़ाई तक: जब एक पिता का बेटा या बेटी किसी भी वस्तु या अन्य किसी चीज की मांग करता है तब यही पिता न दिन देखता और न रात देखता है बस निकल पड़ता है अपने बच्चे की इच्छा को पूरा करने के लिए। कुछ और वक्त बीत जाता है , और वो दिन भी आता है जब बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी पिता के कंधो पर आ जाती है। लोग कहते है कि वक्त के साथ चीजें बदल जाती है लेकिन पिता एक ऐसी जिम्मेदारी है जो वक्त को बदल सकती  है पर वक्त उसको नहीं...जब तक बच्चा पहली से लेकर आठवीं तक पढ़ता है। तब भी पिता हर खर्च उठा लेता है, जैसे ही उस पिता का बेटा या बेटी 10वीं और 12वीं में होते है, तब और भी बढ़ता है पिता का भार लेकिन वह चेहरे पर जरा भी सिकन नहीं आने देता फिर जब बच्चा कॉलेज जाता है एक ओर बड़ी चुनौती पिता के सामने आ जाती है। बच्ची को अच्छी शिक्षा के देने के लिए अच्छे कॉलेज और मोटी रकम का भी बंदोबस्त करना होता है। कहने में तो हर किसी के लिए ये बात आसान होती है लेकिन पिता के लिए करना बहुत कठिन होता है। आखिर पिता जो है अपने बच्चे का भविष्य बनाना चाहता है। 

बच्चे बड़े होते है तो बढ़ जाती है पिता की जिम्मेदारी: अब आप सभी सोच रहे होंगे की जिम्मेदारी के बारें में तो हम इस आर्टिकल में पहले भी पढ़ चुके है, तो बता दें कि दरअसल यहां हम बच्चे के बड़े होने के बारे में बात कर रहे है। अब ये बात भी जाहिर है की जब बच्चा बड़ा होने लगता है तब पिता की चिंता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। फिर वह बच्चे का विवाह हो या फिर कोई और काम।  इसी तरह की सारी जिम्मेदारी पिता के नाम होती है।

बेटी की तरफ होता है पिता का झुकाव: पिता के लिए सभी बच्चे होते है प्यारे लेकिन सबसे ज्यादा प्यार बेटी पाती है, और हो भी क्यों न हमारे समाज में बेटी को लक्ष्मी जी कहा जाता है, बेटी की हर इच्छा को पूरा करना उसकी आंख में कभी आंसू न आने देना...जिस वस्तु पर बेटी हाथ मात्र रख दे समझो पिता को वो लेना ही होता है। लेकिन जब वही बेटी बड़ी होकर अपने ससुराल जाती है तब एक पिता की जिम्मेदारी तो कम हो जाती लेकिन कोई उससे भी पूछो की इस जिगर के टुकड़े को खुद से दूर करना उसके लिए कितना मुश्किल होता है। यदि बेटी को परिवार अच्छा मिला है तो पिता खुश है लेकिन बेटी को किसी बात की तकलीफ होती है तो सबसे पहले पिता की आंखे रोती है। एक बेटी के लिए उसके पापा ही सब कुछ होते है। 

यदि गरीब हो पिता तब: पिता की सरकारी नौकरी हो तो बच्चोंं की जिंदगी भी ठाट से गुजरती है, पिता प्राइवेट जॉब पर हो तो घर परिवार चलाने में थोड़ी मुश्किल होती है। परंतु पिता के पास न हो कोई फिक्स जॉब वो करता हो किसी के घर मजदूरी तब छोटी छोटी जिम्मेदारी उसे बोझ बनकर सताती है। लेकिन ये तो पिता है जनाब हार कहा मानता है। अपने बच्चो का पेट पालने के लिए वो दिन रात एक करता है, पिता तो पिता है हार कहा मानता है। कई बार तो ऐसा भी होता है जब उसका बच्चा किसी भी वस्तु की मांग करता है तो बेचारा पिता खुद को लाचार पाता है। उस समय पिता के दिमाग में एक भी ख्याल करता है कि वह अपने बच्चे की इस इच्छा को कैसे पूरा कर सकता है। लेकिन फिर भी वो हिम्मत नहीं हारता है और बच्चे के लिए हर वो कोशिश करता जिससे उसकी इच्छा पूरी हो जाए।

खुद भूखे रहते है... लेकिन बच्चे को भूखा नहीं सुलाते पापा:  यदि गरीबी की मार किसी आम इंसान के जीवन पर पड़ जाती है। तो हर बार वह इस चीज का शिकार हो जाता है। गरीबी वो चीज है जिसमे न तो पिता की कमाई होती है और न ही वह अपने घर का भरण -पोषण कर पाता है। एक पिता खुद तो भूखा सो जाता है लेकिन बच्चों को भर पेट खिलाता है। 

सुबह उठने के लिए पिता की आवाज ही होती है काफी: इस बात में तो कोई शक नहीं है कि जब भी सुबह उठाना होता है और हम चाहें जितने भी अलार्म लगा लेकिन यदि पापा ने एक बार जोर से आवाज दी तो एक बार में भाग जाती है सारी नींद। पिता को एक बार बोलना होता है कि पापा कल मुझे उठाना है इस समय पर... आपके अलार्म के पहले पापा उठा देते है। 

बच्चों के सबसे अच्छे मित्र होते है पापा: इस बदलते जा रहे दौर के साथ हर दिन कई घटना भी सामने आ जाती है। कही बेटा पिता को छोड़ जाता है तो कहीं बेटी पिता का सर नीचे कर देती है। कहा जाता है कि यदि पिता अपने बच्चों के साथ एक मित्र की तरह रहने लग जाए तो बच्चे अपने दिल की सारी बातें माँ से पहले पिता के साथ ही शेयर करते है। एक पिता की भूमिका जितनी बच्चों की परवरिश और उन्हें बुरे कामों से दूर रखने में होती है उतनी ही बच्चों के दिल की बात को समझने के लिए भी होती है।  

नसीब वाले होते है जिनपर होता है पिता का हाथ: एक बच्चे के लिए पिता का सर पर हाथ होना उतना ही अच्छा है जितना पिता का घर में होना, और इस बात का एहसास उन्हें ही सबसे ज्यादा होता है, जिनके सर पर पिता का साया नहीं होता, कम उम्र में अपने पिता को खो देने का दर्द क्या होता है उस बच्चे से अच्छी तरह कोई नहीं जान सकता। पिता की कमी का खलना और जब घर की सारी जरूरतें पिता से ही पूरी हो उस परिवार के लिए जीवन जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। घर की आमदनी रुक जाती है, बच्चों को उतना ही कष्ट उठाना पड़ता है। उस समय न कोई चाचा... न कोई दादा और न कोई और साथ देता है। पिता के घर में न होने का एहसास हर बच्चे की आंख को नम कर देता है।  

दुनिया की भीड़ में सबसे करीब जो वो है पिता: जब सारी दुनिया आपके खिलाफ हो जाए और भीड़ बनाकर आपको दबाने का प्रयास करने लग जाए तब एक मात्र पिता ही है जो उस भीड़ में भी आपके करीब मिलेंगे। यदि बच्चे पर किसी भी तरह की कोई आंच आती है तो पिता ही सबसे करीब होते है। ताकि वह अपने बच्चे को उस परेशानी से निकलने में सहायता कर सके। वो कहते है न सारी दुनिया एक तरफ और मेरे पापा एक तरफ... बचपन में हम सभी किसी भी बच्चे से लड़ जाते थे तब एक ही बात बोला करते थे कि मैं अपने पापा को बोल दूंगा। फिर मेरे पापा तुझे मरेंगे। यही बात बोलना काफी होता था और मानो जैसे जिंदगी की बहुत बड़ी जंग जीत ली हो। 

मेरे लिए किस्मत से भी लड़ जाते हो, मेरे पास कोई दुःख आ ना सके,
कोई धुप मुझे मुरझा ना सके, मेरे साया बन के चले, मेरे पापा ...!!

अपने पिता को दें सम्मान: हमें कभी भी इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि पिता से हमारा नाम है न कि हमारे नाम से पिता का, यदि पिता नहीं है तो दुनिया में कुछ भी नहीं है। और पिता से ही सारा जीवन, यदि पिता का नाम हमारे साथ न हो तो ये समाज हमें जीने नहीं देता। और इस बात को शायद आज हम नहीं समझ पाएं  लेकिन जब हम खुद पिता बनेंगे तब शायद इस बात का एहसास होगा की उन्हें कितना दर्द होता है जब, हम ही अपने पिता को बुरी तरह से ट्रीट करते है। जरा जरा सी बात पर उनपर गुस्सा निकालने लग जाते है। जो मुँह में आता है बोलते चले जाते है। हम यह भी भूल जाते है कि उन्होंने हमें जन्म दिया है हमने उन्हें नहीं। यदि पिता हमारी कोई इच्छा पूरी नहीं करते है तो हम इस बारें में नहीं सोचते है की आखिर क्यों पिता ने हमारी मांग को पूरा नहीं किया, और उसकी बजाय हम उन्ही पर भड़कने लग जाते है। इस बारें में हम सभी को ध्यान रखना चाहिए कि पिता को भी तकलीफ होती है। 

नोट: इस आर्टिकल के माध्यम से आप सभी से ये ख़ास अपील है कि आप सभी अपने पिता को सम्मान दें, न जाने कब पिता का साया आपके ऊपर से हट जाए। 

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