कानपुर : लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, जिसका लगभग एक साल पहले यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने उद्घाटन किया था, तब इस पर लड़ाकू विमान उतारे गए थे. हालांकि एक साल बीतने के बाद एक बार फिर इस पर लड़ाकू विमान उतारे गए. किसी हाइवे पर सेना के लड़ाकू विमान उतारना किसी के लिए भी अचरज से कम न था. लेकिन यह हाइवे क्या सिर्फ विमानों को उतारने और उनकी उड़ान भरने के लिए ही सही है? इस पर यात्रा करना क्या उचित नहीं है? आप जैसा सोच रहे हैं ऐसा कुछ नहीं है, दरअसल इस पर आय-दिन होने वाले हादसों ने इसकी डिजाइन पर यह सवालिया निशान लगा दिए हैं.
शनिवार देर रात कन्नौज क्षेत्र में एक कार में सवार पूरे परिवार की दुर्घटना में मौत हो गयी. इससे पहले भी कई हादसे इस एक्सप्रेस-वे पर हो चुके हैं. अगर आंकड़ों को देखा जाए तो साल भर में तकरीबन 63 बड़े हादसे इस एक्सप्रेस-वे पर हो चुके हैं. और इन हादसों में 70 लोगों ने अपनी जान गवाई है इसके अलावा 360 लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं. यह आंकड़ा जो हमे आप सभी को बताया है यह केवल कन्नौज क्षेत्र का है. यदि पूरे हाइवे की बात करें तो लगभग 150 से अधिक मौतें इस हाइवे पर हुई हैं.
अगर इस एक्सप्रेस-वे को हादसों या मौतों का एक्सप्रेस-वे कहें तो यह गलत नहीं होगा. इस एक्सप्रेस-वे को नवम्बर 2016 में शुरु किया गया था. कुछ निश्चित जगह पर ही हादसों के होने से लोग इसकी बनावट में गलतियां बता रहे हैं. अगर हादसों के क्षेत्र की बात की जाए तो सबसे ज्यादा हादसे कन्नौज के ठठिया, तालग्राम और सौरिख थाना क्षेत्र में ही हुए हैं. लगभग 90% हादसे कारों के डिवाइडर से टकराने की वजह से हुए हैं.
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर मृत 6 लोगों में 2 सगे भाई