![आश्वासनों के भरोसे असरहीन अन्ना अनशन का समापन](https://media.newstracklive.com/uploads/ads-photo/Mar/30/big_thumb/ah_5abdf1db06911.jpeg)
नई दिल्ली : सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आखिर गत 7 दिनों से जारी अपना अनशन गुरुवार शाम को खत्म कर दिया.हालाँकि अनशन खत्म करते हुए अन्ना ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं. वहीं, अन्ना ने धमकी दी कि अगर सरकार 6 महीने में इन मांगों पर कार्रवाई नहीं करती है, तो वे फिर भूख हड़ताल करेंगे लेकिन यदि अन्ना के इस आंदोलन का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि यह अनशन न केवल असरहीन रहा, बल्कि सरकार के आश्वासन पर ही खत्म हो गया.
यदि इस आंदोलन की तुलना उनके 2011 में दिल्ली के आंदोलन से करें तो यह काफी फीका रहा.ऐसा लगा कहीं मजबूरी में तो अन्ना ने अनशन खत्म नहीं किया, क्योंकि इस बार के आंदोलन को न तो सरकार ने तवज्जो दी और न ही विपक्ष का साथ मिला. केंद्र द्वारा कृषि उपज की लागत के आधार पर डेढ़ गुना करने की घोषणा बजट में पहले ही की जा चुकी है.वहीं लोकपाल की नियुक्ति को लेकर तो सरकार 2014 से आश्वासन दे रही है.खेती पर निर्भर 60 साल से ऊपर उम्र वाले किसानों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये पेंशन मिले. कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा सम्पूर्ण स्वायत्तता पर भी सरकार ने कुछ नहीं कहा.इस बार अन्ना को किसानों का आंदोलन होने के बाद भी अपने गृह राज्य महाराष्ट्र से किसानों का अपेक्षित समर्थन नहीं मिला.जबकि पिछले दिनों किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मुंबई तक पैदल मार्च किया था. अन्ना का आंदोलन खत्म कराने भी उनके गृह राज्य महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ही पहुंचे.
इस बार आंदोलन के कमजोर होने का कारण अन्ना की वह शर्त भी रही जिसमें उन्होंने कह दिया था कि वे ही लोग आंदोलन का हिस्सा बनेंगे वो कभी राजनीति में नहीं जाएंगे. इस कारण भी राजनेताओं की भीड़ कम नजर आई.कोई भी मंत्री या नेता अन्ना के इस आंदोलन पर न पहुंचा और न ही कोई बयान देता दिखाई दिया, जबकि इन दिनों विपक्षी एकता का खूब प्रयास किया जा रहा है. यह आंदोलन तो विपक्ष लिए राजधानी में सरकार के खिलाफ यह सुनहरा मौका था. ममता बनर्जी ने भी अन्ना का साथ नहीं दिया जबकि अन्ना 2014 में ममता के समर्थन में आवाज उठा चुके थे. ममता ने तो अन्ना से दिल्ली में रहकर भी मिलना उचित नहीं समझा. इसीसे इस आंदोलन की हैसियत सबके सामने आ गई और असरहीन रहे अन्ना का यह अनशन चुपचाप खत्म हो गया.
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