एकादशी के दिन आखिर क्यों नहीं खाना चाहिए चावल
एकादशी के दिन आखिर क्यों नहीं खाना चाहिए चावल
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हमारे धर्म में यह मान्यता है कि एकादशी अथवा ग्यारस के दिन कभी भी चावल नहीं खाना चाहिए यह बात तो सभी जानते होंगे लेकिन ऐसी मान्यता क्यों है आखिर इसकी क्या बजह है,क्या कहानी है यह बहुत कम ही लोग जानते होंगे, पौराणिक कथाओ के अनुसार हम बताते है आपको कि इसकी क्या कहानी है 

एकादशी के दिन चावल खाना अखाद्य पदार्थ अर्थात नहीं खाने योग्य पदार्थ खाने का फल प्रदान करता है।पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है।

जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है।

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