क ताऊ का छोरा,जिसका नाम "आंनद" था,
सिंगापुर से आने वाला था ।
जिस दिन आनंद आने वाला था,
उसी दिन ताऊ ने अपने छोरे के आने की ख़ुशी में दावत रखी ।
सब लोग आये,ढोल बैंड वाला भी बुलाया गया ।
ताऊ बोला,आप ऐसा बजाओ कि,सुणके आंनद आ जाये.
ढोल बैंड वालों ने ए़कदम बढ़िया बजाना शुरु किया ।
थोडी देर बाद ताऊ से पूछा कि "ताऊ,आंनद आया क्या ?"
तब तक आंनद,नहीं पंहुचा था,
ताऊ उसके ही इंतजार में था,बार बार रास्ता देख रहा था.
ताऊ बोला " नहीं आया " ।
ढोल- बैंड वालों ने और अच्छा बजाया ।
दूबारा पूछने पर ताऊ यही बोला कि "आनंद नहीं आया" ।
ऐसा करते करते देर हो गयी ।
ढोल-बैंड वालों ने सोचा,कितना भी अच्छा बजाओ
ताऊ को तो आंनद ही नहीं आ रहा ।
अब उन्हें आ गया गुस्सा ।
जैसे ही ढोल-बैंड वालों ने ताऊ को गालियाँ निकालनी शुरू करी,
इतने में जैसे ही ताऊ को दूर से ही अपना छोरा आनंद आता दिखा,
और वैसे ही ताऊ जोर से ख़ुशी के मारे चिल्ला पड़ा " आनंद आ गया"।