आज है जामिआ क अस्थापना दिवस, जानिये आखिर क्यों गांधीजी इससे जुड़े थे
आज है जामिआ क अस्थापना दिवस, जानिये आखिर क्यों गांधीजी इससे जुड़े थे
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शिक्षा के फील्ड में अहम् भूमिला निभाने वाली जामिआ के बारे में जाने , जी हाँ असहयोग आंदोलन के बीच राष्ट्रवादी विचार को लेकर पनपा जामिया जब वित्तीय संकट से जूझ रहा था तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पैसों की तंगी को लेकर कहा था कि आर्थिक परेशानियों के बावजूद जामिया को चलाना ही होगा। भले ही इसके लिए मुझे भीख ही क्यों न मांगनी पड़े। इस बात को जामिया की कहानी पुस्तक में अब्दुल गफ्फार महदौली ने भी लिखा है। स्वतंत्रता आंदोलन के बीच शिक्षा का अलख जगाने वाला जामिया 29 अक्तूबर को 99 वर्ष का हो जाएगा। अगले वर्ष 100 साल जश्न मनाया जाएगा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया अलीगढ़ में मूल रूप से 1920 में एक संस्था के रूप में स्थापित किया गया और बाद में 1988 में भारतीय संसद के अधिनियम द्वारा एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बना। 


महात्मा गांधी और जामिया के संबंध पर जामिया और गांधी किताब लिखने वाले जामिया के पूर्व छात्र अफरोज आलम साहिल बताते हैं कि 1922 में महात्मा गांधी ने असहयोग-आंदोलन वापस ले लिया था और मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने 1924 में खिलाफ़त आंदोलन के अंत की घोषणा कर दी। इसके बाद जामिया को मिलने वाली आर्थिक मदद बंद हो गई थी। अफरोज बताते हैं कि 28 और 29 जनवरी 1925 को दिल्ली के करोल बाग स्थित शरीफ मंजिल में फाउंडेशन कमेटी का जलसा हुआ, जिसमें आखिर में यह तय हुआ कि जामिया को चलाते रहना है। दूसरे दिन जलसे में महात्मा गांधी भी मौजूद थे। पैसों की तंगी को लेकर कहा कि जामिया को चलाना ही होगा, भले ही इसके लिए मुझे भीख ही क्यों न मांगनी पड़े।  अफरोज आलम साहिल बताते हैं कि एक मार्च, 1935 को जामिया के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अज़ीज़ के हाथों ओखला में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली इमारत की नींव रखी गई थी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और बाद में पूर्व राष्ट्रपति बने ज़ाकिर हुसैन का ये विचार महात्मा गांधी को पसंद आया। इस संबंध में गांधी ने प्रेस को भी अपना बयान जारी किया और कहा कि ‘यह एक बहुत श्रेष्ठ विचार है कि जामिया की बुनियाद उसके सबसे छोटे बच्चे द्वारा रखी जाए। इस कल्पना की मौलिकता पर मेरी बधाई। मैं जानता हूं कि जामिया का भविष्य उज्जवल है। मैं आशा करता हूं कि इसके द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता का बीज एक शानदार वृक्ष के रूप में उगेगा। इसलिए मैं इस साहसिक प्रयास की हर सफलता के लिए कामना करता हूं।

जाने माने स्वतंत्रता सेनानी और मुस्लिम धर्मज्ञ, मौलाना महमूद हसन ने शुक्रवार, 29 अक्तूबर 1920 को अलीगढ़ में जामिया मिल्लिया इस्लामिया की आधारशिला रखी। जामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम बताते हैं कि जामिया पहला राष्ट्रवादी शिक्षण संस्थान है। अंग्रेज़ी शासन से भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहे मतवालों ने जामिया की स्थापना की। इसे सींचने के लिए अनगिनत कुर्बानियां दीं। उनमें से कईयों ने बिना तनख्वाह काम किया। अपना माल,ज़मीन-जायदाद जामिया के नाम कर दिया। गांधी जी के अलावा रवीन्द्रनाथ टैगोर, मुंशी प्रेमचंद, बिरला, जमुना लाल बजाज जैसी हस्तियों का जामिया से करीबी रिश्ता रहा। मुंशी प्रेमचंद के नाम से तो यहां एक आर्काइव भी है। 

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