कुत्तों को नही देते हैं महत्त्व तो एक बार इस मंदिर की यात्रा पर अवश्य जाये
कुत्तों को नही देते हैं महत्त्व तो एक बार इस मंदिर की यात्रा पर अवश्य जाये
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व्यक्ति अपनी आस्था एवं भक्ति के अनुसार भगवान की आराधना करता है. तथा वह ईश्वर के दर्शन करने के लिए मंदिरो में जाते है जहा पर उन्हें सुख का अनुभव होता है. भारत देश में कई देवी देवताओ को पूजा जाता है. लेकिन इसी के साथ हमारे देश में ही एक मंदिर ऐसा भी जहा पर भगवान की नहीं बल्कि कुत्ते की प्रतिमा विराजित है. जिसे भक्त बड़ी ही श्रद्धा भाव से उस प्रतिमा की पूजा अर्चना करते है. और अपनी इच्छा उन्हें बताते है.

राजनंदगांव के बालोद से कुछ ही दुरी पर स्थित मालीघोरी खपरी गांव है जहा पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है. इस मंदिर को कुकुरदेव के मंदिर से भी जाना जाता है. कहा जाता है की मनुष्य को होने वाली कुकुरखांसी का निवारण यहाँ पर हो जाता है. साथ ही कुत्ते के काटने से होने वाली कई प्रकार की बीमारियो से भी रक्षा की जाती है.

यह मंदिर श्री भैरव जी को समर्प्रित किया गया है. इस मंदिर के गर्भ ग्रह में श्री महाकाल के राजा की भी मूर्ति स्थापित की गई है. इस मंदिर का निर्माण 14वीं-15 वीं शताब्दी में कराया गया था. मंदिर के चारो और सर्प का डेरा बनाया गया है. मंदिर के चारो तरफ विभिन्न प्रकार की आकृतिया बनाई गई है. इस मंदिर में श्रीराम, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की भी प्रतिमा स्थापित है पर यहाँ सिर्फ कुत्ते की प्रतिमा का ही मुख्य पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि कई वर्षो पहले यहाँ पर कुत्ते की समाधि बनाई गई थी जिसके बाद ही यहाँ पर कुत्ते की पूजा की जाती है.

 

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