1. सर्वप्रथ लक्ष्य का हो निर्धारण -लक्ष्य जिसे हम उद्देश्य भी कहते है .प्रत्येक व्यक्ति के पास होना चाहिए. अब वह चाहे किसी भी कार्य के लिए क्यों न हो,घरेलु कार्य काज या किसी नौकरी ,या किसी दफ्तर का कार्य ,हम बात अपने लक्ष्य की करें तो जैसा की जब हम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना चाहते है. तो उस वक्त हम ये न देखें की वैकेंसी कब आएगी,या कितनी सीटें है .कई बार तो हम दिए गए पदों को देखकर पीछे हट जाते है और सोचते है की हमारा सिलेक्शन नहीं होगा ,वही हमारी कमजोरी होती है. यदि हमें लक्ष्य बना लिया की हमें एक ही सीट की तो जरूरत है .जिसे हम अपना लक्ष्य मानकर हासिल करेगें .तभी वह सफलता को प्राप्त करता है .
2. नियमों का हो पालन - किसी भी काम को शुरु करने से पहले हमें उस कार्य के लिए समय और करने के तरीके पर विशेष ध्यान देना होगा.व्यक्ति के जीवन के हर एक पहलू में किए गए कार्यों को नियम के साथ करना ही एक बड़ा संयम होता है .
3. समय पर विशेष ध्यान देना - जीवन के प्रत्येक कार्य को करने के लिए एक निश्चित समय और उनके प्रति सजगता होना बेहद ही जरूरी होता है . यह एक दिन में संभव नहीं है.यह तभी संभव है, जब आप इसका अभ्यास करते हैं.