नरक चतुर्दशी पर जरूर करें यमसूक्तम् का पाठ, मिलेगा भारी लाभ
नरक चतुर्दशी पर जरूर करें यमसूक्तम् का पाठ, मिलेगा भारी लाभ
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सनातन धर्म में कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस पर्व को नरक चतुर्दशी या छोटा दिवाली भी बोलते हैं। इस वर्ष 11 नवंबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन प्रभु श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसी खुशी नें लोगों ने छोटी दिवाली के दिन दीपक जलाए थे। नरक चौदस मतलब छोटी दिवाली के दिन कृष्णजी, मां काली एवं हनुमानजी की पूजा का विधान है। वही यमराज को प्रसन्न करने के लिए नरक चतुर्दशी पर्व सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन संध्या पूजा के पश्चात् व्यक्ति को यमसूक्तम् का पाठ जरूर करना चाहिए।

।। अथ यमसूक्तम् ।।
ॐ तदेवाग्निस्तदादित्यस्तद्वायु स्तदुचंद्रमाः।।
तदेव शुक्रं तद्ब्रह्मताऽआपः स प्रजापतिः ।।
सर्वेनिमेषाः जज्ञिरे विद्युतः पुरुषादधि ।।
नैनमूर्द्धन्नतिर्यञ्चन्नमद्धये परिजग्रभत् ।।
न तस्य प्रतिमाऽअस्ति यस्य नाम महद्यशः ।।
हिरण्यगर्भऽइत्येषमामाहिसीदित्येषा यस्मान्न जातऽइत्येषः ।।
एषो हदेवः प्रदिशोनु सर्वाः पूर्वोह जातः सऽउगर्भेऽअंतः ।।
सऽएवजातः स जनिष्यमाणः प्रत्यङ् जनास्तिष्ठति सर्वतो मुखः ।।
यस्माज्जातन्नपुरा किञ्चनैवयऽआवभूव भुवनानि विश्वा।।
प्रजापतिः प्रजयास रराणस्त्रीणि ज्योति सि सचते षोडशी ।।
येनद्यौ रुग्रापृथिवी च दृढायेन स्वस्तभितं येन नाकः ।।
येऽअंतरिक्षे रजसो विमानः कस्मैदेवाय हविषा विधेम ।।
यंक्रन्दसीऽअवसा तस्तभानेऽअब्भ्यै क्षेताम्मनसा रेजमानो ।।
यत्राधिसूरऽउदितो विभाति कस्मै देवाय हविषा विधेम आपोह यद्बृहतीर्यश्चि दापः ।।
वेनस्तत्पश्यन्निहितं गुहासद्यत्र विश्वम्भवत्येक नीडम् ।।
तस्मिन्निदसञ्च विचैति सर्वसऽओतः प्रोतश्च विभूः प्रजासु ।।
प्रतद्वो चेदमृतन्नु विद्वान्गंधर्वो धामविभृतं गुहासत् ।।
त्रीणिपदानि निहिता गुहास्य यस्तानिवेद सपितुः पितासत् ।।
स नो बंधुर्जनिता सविधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा।।
यत्रदेवाऽअमृतमानशानास्तृतीये धामन्नद्धयैरयन्त ।।
परीत्यभूतानि परीत्यलोकान्परीत्यसर्वा: प्रदिशो दिशश्च ।।
उपस्त्थाय प्रथम जामृतस्यात्मनात्मानमभि संविवेश ।।
परिद्यावा पृथिवी सद्यऽइत्वा परिलोकान्परिदिशः परिस्वः ।।
ऋतस्य तन्तुम् विततम् विचृत्य तदपश्यत्तदभवत्तदासीत् ।।
सदसस्पतिमद्भूतम्प्रियमिन्द्रस्य काम्यम् ।।
सनिम्मेधामयासिषस्वाहा ।।
याम्मेधान्देवगणाः पितरश्चोपासते ।।
तयामामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरुस्वाहा ।।
मेधाम्मे वरुणो ददातु मेधामग्निः प्रजापतिः।।
मेधामिन्द्रश्च वायुश्च मेधान्धाता ददातुमे स्वाहा ।।
इदम्मे ब्रह्मच क्षत्रञ्चोभे श्रियमश्रुताम् ।।
मयिदेवा दधत श्रिममुत्तमान्तस्यै ते स्वाहा।।
इति यमसूक्तम् समाप्त।।

करें यमराज के इन नामों का जाप
नरक चतुर्दशी के दिन यमसूक्तम् का पाठ करने के साथ यमराज इन इन नामों का भी जाप करना चाहिए। ऐसा करने से वह प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। वह नाम हैं यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुभ्बर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त।

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