भूलकर भी गणेश जी की पूजा में न चढ़ाएं तुलसी, जानिए क्यों?
भूलकर भी गणेश जी की पूजा में न चढ़ाएं तुलसी, जानिए क्यों?
Share:

हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य आरम्भ करने से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सारी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। वही इस बार गणेश चतुर्थी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी। अंग्रेजी महीने के अनुसार, यह सितंबर माह की 19 दिनांक को पड़ रही है। 10 दिन चलने वाले इस पर्व की धूम पूरे भारत में देखने को मिलेगी। इस के चलते भक्त गणपति की निरंतर 10 दिन तक पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करेंगे। कहा जाता है कि विघ्नहर्ता गणेश जीवन की सभी समस्याओं को दूर कर देते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन देशभर में गणपति बप्पा के जगह-जगह पंडाल लगते हैं। किन्तु क्या आप जानते हैं प्रभु श्री गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। पूजा में तुलसी का उपयोग करने से प्रभु श्री गणेश नाराज हो जाते हैं। आइए आपको बताते हैं गणेश जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है।  

भगवान गणेश को न चढ़ाएं तुलसी
सनातन धर्म में तुलसी बेहद पवित्र मानी जाती है। प्रभु श्री विष्णु को तुलसी अति प्रिय है वहीं गणेश जी की पूजा के चलते तुलसी का उपयोग करना अशुभ माना जाता है। प्रभु श्री गणेश की पूजा के चलते तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए। 

इसलिए नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी:-
पौराणिक कथा के मुताबिक, गणेश जी की पूजा में तुलसी को इसलिए सम्मिलित नहीं किया जाता है क्योंकि एक बार गणेश जी समुद्र तट पर तपस्या कर रहे थे। तभी वहां कन्या तुलसी अपने विवाह के लिए पहुंची। गणेश जी को देख उन्होंने उनसे शादी का प्रस्ताव रखा। तुलसी ने गणेशजी की तपस्या के बीच विवाह का प्रस्ताव रख दिया, जिसके कारण उनकी तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने के कारण गणेश जी बहुत क्रोधित हो गए। तत्पश्चात, उन्होंने विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया। जिसके बाद तुलसी ने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे। इस श्राप के पश्चात् गणेश जी ने भी तुलसी का विवाह राक्षस से होने का श्राप दे दिया। फिर तुलसी ने प्रभु श्री गणेश जी से माफी मांगी। इसलिए प्रभु श्री गणेश की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 

आखिर क्यों भगवान गणेश को चढ़ाई जाती है दूर्वा? जानिए कथा

प्यू सर्वेक्षण ने दक्षिण पूर्व एशिया में राष्ट्रीय पहचान को आकार देने में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका का किया खुलासा

'अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब नफरती भाषण देना नहीं..', सनातन धर्म पर जहरीले बोलों के बीच मद्रास हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -