सावन का महीना यानी मानसून का महीना कहा जा सकता है। आप सभी जानते ही होंगे इस महीने में बीमार होने का रिस्क काफी बढ़ जाता है। जी दरअसल इस मौसम में शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune System) काफी कमजोर पड़ जाता है और इसी के साथ इस मौसम में कई तरह के बैक्टीरिया ( Bacteria ) पनपते हैं, जिसके कारण खानपान में काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस मौसम में नमी होने और इम्युनिटी कमजोर होने के कारण मॉनसून में सर्दी, खांसी, बुखार के मरीज काफी बढ़ जाते हैं। केवल यही नहीं बल्कि पाचन तंत्र (Digestive System) भी इस बीच कमजोर होता है, ऐसे में खानपान में की गई जरा सी चूक से पेट में दर्द, संक्रमण, दस्त, फूड पॉइजनिंग आदि परेशानियां हो सकती हैं। आज हम आपको उन बीमरियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बारिश में होती हैं।
येलो फीवर (Yellow Fever)- जी दरअसल एडीज एजिप्टी मच्छर ही येलो फीवर का कारण भी बनता है। आपको बता दें कि इस बुखार में मरीज के अंदर पीलिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं। हालांकि, इस बुखार के मामले भारत में दिखने दुर्लभ हैं। इसमें बुखार, मतली, उल्टी, सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है।
लाइम डिजीज- जी दरअसल यह बीमारी मुख्यतः Borrelia burgdorferi बैक्टीरिया के कारण होती है। जो कि संक्रमित काली टांगों वाले कीड़ों के काटने से फैलती है। आपको बता दें कि इस बीमारी के मामले भी भारत में कम ही देखने को मिलते हैं।
कोल्ड और फ्लू- हर साल बरसात के मौसम में वातावरण में कई बैक्टीरिया और वायरस जिंदा रहते हैं। जो नाक, मुंह या आंखों के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को बीमार कर देते हैं। जी हाँ और इसके कारण सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्या का सामना करना होता है।
लेप्टोस्पायरोसिस- यह बीमारी मॉनसून (मानसून) के दौरान काफी बढ़ जाती है। 2013 के दौरान भारत में इसके मामले देखे गए थे। जी दरअसल जानवरों के यूरिन व स्टूल में लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया होने के कारण यह बीमारी होती है। जो कि जानवरों के संक्रमित यूरिन-स्टूल के संपर्क में आने से इंसानों या दूसरे जानवरों में फैल सकती है। जी हाँ और इस बीमारी में भूख में कमी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, खांसी आदि मुख्य लक्षण शामिल होते हैं।
हेपेटाइटिस ए- हैजा की तरह हेपेटाइटिस भी दूषित पानी या खाने के सेवन से होता है। जी दरअसल इस बीमारी के कारण लिवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है और इसमें बुखार, उल्टी आदि समस्याएं होने लगती हैं।
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