जैसा कि विदित ही है कि उत्तर भारत में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व पूरी श्रद्धा व विश्वास से मनाया जाता है. इस तिथि को औषधियों के देवता धनवन्तरी के अलावा देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की भी पूजा करने की मान्यता है. धनतेरस के दिन कुबेर के अलावा यमदेव को भी दीपदान की भी परम्परा है. यमदेव की पूजा करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन यमदेव की पूजा करने से घर में असमय मृत्यु का भय नहीं रहता है.
आइये नजर डालते हैं धन तेरस की पूजन विधि से जुड़े कुछ बिदुओं पर -
⭐ पूजा करने के बाद घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक जिसमें कुछ पैसा और कौड़ी डालकर पूरी रात्रि जलाना चाहिए.
⭐ -शास्त्रों के अनुसार, धन त्रयोदशी के दिन देव धनवंतरी देव का जन्म हुआ था. धनवंतरी देव,देवताओं के चिकित्सकों के देव है. यही कारण है कि इस दिन चिकित्सा जगत में बडी-बडी योजनाएं प्रारम्भ की जाती है.
⭐ भगवान धनवन्तरी समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिये धनतेरस के दिन नये उपहार, सिक्का, चाँदी, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है. लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को इस दिन घर लाना, घर-कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में धन, सफलता व उन्नति को बढाता है.
⭐ ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृद्धि करता है. दीपावली के दिन इन बीजों को बाग, खेत खलिहानों में लगाया जाता है ये बीज व्यक्ति की उन्नति व धन वृद्धि के प्रतीक होते है.
⭐ इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ- साथ सप्त धान्य (गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर) की पूजा की जाती है. सप्त धन्य के साथ ही पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. इस दिन पूजा में भोग लगाने के लिये नैवेद्य के रुप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग लाभकारी होने के साथ ही इस दिन स्थिर लक्ष्मी की भी पूजा करने का भी विशेष महत्व बताया गया है.
⭐ धनतेरस के दिन कुबेर को प्रसन्न करने का मंत्र- शुभ मुहूर्त में धनतेरस के दिन धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करने के बाद निम्न मंत्र का जाप करें- इस मंत्र का जाप करने से भगवन धनवन्तरी बहुत खुश होते हैं, जिससे धन और वैभव की प्राप्ति होती है
मन्त्र इस प्रकार है - यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये, धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा.