महारानी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई सन 1725 को चांऊडी गांव (चांदवड़), अहमदनगर, महाराष्ट्र में हुआ था. अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक मामूली किंतु संस्कार वाले आदमी थे. इनका विवाह इन्दौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव से हुआ था. अहिल्याबाई के सम्मान में डॉक टिकिट भी बनाए गए थे.
सन 1745 में अहिल्याबाई के यहाँ पुत्र हुआ और तीन वर्ष बाद एक कन्या. पुत्र का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई रखा गया उन्होंने बड़ी कुशलता से अपने पति के गौरव को जगाया कुछ ही दिनों में अपने महान् पिता के मार्गदर्शन में खण्डेराव एक अच्छे सिपाही बन गये.
महारानी अहिल्याबाई एक बेहतरीन योद्धा थी, वे स्वयं दुश्मनो से सीधी टक्कर ले लेती थी. घुड़सवारी में तो माहिर थी ही ,साथ ही हाथी पर सवार हो कर युद्धभूमि में अपनी सेना को नेतृत्व भी प्रदान करती थी.
उनका व्यक्तित्व ,शासन क्षमता और नेतृत्व शक्ति अप्रतिम थी. वे उन भारतीय वीरांगनाओ में सम्मिलित है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया.
कहा जाता है कि रानी अहिल्याबाई के स्वप्न में एक बार भगवान शिव आए. वे भगवान शिव की भक्त थीं और इसलिए उन्होंने 1777 में विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया. अहिल्याबाई ने इसके अलावा काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, द्वारिका, बद्रीनारायण, रामेश्वर, जगन्नाथ पुरी इत्यादि प्रसिद्ध तीर्थस्थानों पर मंदिर बनवाए.
अहिल्याबाई ने 13 अगस्त सन् 1795 को अपना देह त्याग दिया. अहिल्याबाई के निधन के बाद तुकोजी राव इन्दौर की गद्दी पर बैठे.
मल्हार राव होलकर को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि