देवउठनी एकादशी के दिन गलती से भी न करें ये 5 काम, वरना बनेंगे पाप के भागीदार
देवउठनी एकादशी के दिन गलती से भी न करें ये 5 काम, वरना बनेंगे पाप के भागीदार
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14 नवंबर 2021 मतलब रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी तथा प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से चातुर्मास ख़त्म होता है। पाताल लोक में निद्रालीन रहे प्रभु श्री विष्णु चार महीने पश्चात् जागते हैं तथा एक बार फिर से सृष्टि का कार्यभार संभाल लेते हैं। इसी दिन से शालीग्राम एवं तुलसी का विवाह आरम्भ होता है, इसी के साथ विवाह आदि मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते हैं।

वही चतुर्मास की निद्रा से जागने के पश्चात् ईश्वर के श्रद्धालु उनका भव्य स्वागत करते हैं। प्रभु श्री विष्णु को समर्पित एकादशी का व्रत रखा जाता है। जो भक्त व्रत नहीं करते, वे भी प्रभु श्री विष्णु का विधि विधान के साथ पूजन करते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य बैकुंठ को प्राप्त होता है। मगर देवोत्थान एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, ऐसा न करने पर मनुष्य पाप का भागी बनता है तथा मृत्यु के पश्चात् उसे यमराज का कठोर दंड सहना पड़ता है। यदि आप मृत्यु के पश्चात् यमराज के प्रकोप से बचना चाहते हैं, तो ये देवउठनी एकादशी के दिन इन 5 गलतियों को न करें।

ये है वो गलतियां:-


1- तुलसी का पत्ता न तोड़े:- देवउठनी एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु के साथ तुलसी पूजन भी किया जाता है। तुलसी का विवाह शालीग्राम के साथ कराया जाता है। ऐसे में भूलकर भी तुलसी का पत्ता तोड़ने की त्रुटि न करें।

2- इन चीजों का सेवन न करें:- देवोत्थान एकादशी के दिन सात्विक जीवन जीना चाहिए। यदि आप उपवास नहीं रख रहे हैं, तो भी इस दिन साधारण भोजन करें। प्याज, लहसुन, अंडा, मांस, मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।

3- चावल न खाएं:- शास्त्रों में किसी भी एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही है। देवउठनी एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है। इस​ दिन गलती भी चावल का सेवन न करें।

4- ऐसा करने से रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी:- अपने घर में शांति पूर्ण माहौल बनाकर रखें। वृद्धों का अनादर न करें। क्लेश, झगड़ा तथा बहस न करें। परम्परा है कि नारायण की खास पूजा के दिन घर का माहौल खराब करने से माता लक्ष्मी को क्रोध आता है औ वे नाराज हो सकती हैं।

5- दिन में न सोएं:- देवोत्थान एकादशी का दिन बेहद विशेष दिन होता है। पूजा पाठ आदि करके इस दिन का सद्उपयोग करना चाहिए। दिन में लेटकर अथवा सोकर इसे गंवाना नहीं चाहिए। इस दिन अधिक से अधिक नारायण के मंत्रों का जाप करें। गीता का पाठ करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ईश्वर के भजन, सत्यनारायण की कथा आदि करना चाहिए। हालांकि बीमार तथा असमर्थ व्यक्तियों के लिए इन नियमों में छूट है।

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