हाल ही में बीएस-3 इंजन के वाहनों के बंद होजाने के कारण कंपनी ने बजे हुए बीएस-3 वाहनों को बेचने के लिए वाहनों पर बहुत अधिक छुट दी जिससे की बचे हुए वाहन आसानी से बिक जाएं। इस निर्णय से कहा जा रहा था कि कंपनी को काफी घाटा होने वाला हैं लेकिन ऐसा नही हुआ। टू व्हीलर इंडस्ट्री में चार फीसदी मार्जिन पर काम करने वाले डीलर अपना स्टॉक क्लीयर करके फायदे में रहे। बहुत से डीलर्स ऐसे भी थे जिन्होंने पहले से ही कंपनियों के पास से बीएस3 वाहन लेना बंद कर दिया था क्योंकि उनके पास उन वाहनों की डिमांड बीएस4 के वाहनों को देखते हुए खत्म हो गई थी। ऑटो डीलर हमेशा जो उत्पाद अपने पास रखते हैं उसका वो या तो पहले भुगतान कर चुके होते हैं या फिर बाद में भुगतान करने के लिए उन्हें तीन महीने तक का वक्त कंपनियां देती हैं।
क्या कहना हैं फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल ऑफ डीलर्स एसोसिएशन का-
• फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल ऑफ डीलर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट जॉन पॉल के अनुसार अभी भी कुछ ऐसे डीलर्स हैं जिनका स्टॉक क्लीयर नहीं हुआ है भले ही उन्होंने दुपहिया वाहनों पर इतना सारा डिस्काउंट ऑफर दिया हो।
• फिर भी इस तरीके से कंपनियों को काफी स्टॉक निकल गए हैं।
• मिले आंकड़ों से यह स्पष्ट हो जाता है कि लगभग 90 फीसदी तक का स्टॉक कंपनियों का खत्म हो चुका है।
• भले ही कंपनियों ने अपनी गाड़ियों पर इतना सारा डिस्काउंट दिया फिर भी वो फायदे में रही हैं।
• खबरों के मुताबिक महज तीन घंटे के अंदर कई डीलर्स ने अपने गेट पर आउट ऑफ स्टॉक का बोर्ड लगा दिया था।
• दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में घंटों लोग बीएस3 वाहनों को पाने के लिए एक डीलरशिप से दूसरे डीलरशिप का चक्कर काटते रहे।
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