न्यूनतम आयात मूल्य को जारी रखने की मांग
न्यूनतम आयात मूल्य को जारी रखने की मांग
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नई दिल्ली : सस्ते विदेशी आयात से अपने उद्योगों को बचाने के लिए सरकार संरक्षण उपायों का सहारा ले रही है . इन्हीं में से एक है न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था. चीन,जापान , रूस और दक्षिण कोरिया जैसे देश से आ रहे सस्ते स्टील से परेशान इस्पात मंत्रालय ने सरकार से न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था को जारी रखने की मांग की है जिसकी समय सीमा अगस्त में खत्म हो रही है. हालाँकि भारत के इन प्रयासों को निर्यातकर्ता ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन बताया है.

गौरतलब है क़ि सरकार ने 173 स्टील उत्पादों पर 341 -372 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम आयात शुल्क लगाकर घरेलू उद्योग को राहत दी है.इसके कारण बीते माह स्टील का आयात 14 माह के निचले स्तर पर आ गया है.इसीलिए इस्पात मंत्रालय ने इनकी डम्पिंग जारी रहने तक न्यूनतम आयात शुल्क को जारी रखने क़ि मांग की है.इस शुल्क को लगाने का अधिकार वाणिज्य मंत्रालय को है.इस विषय पर प्रधानमंत्री कार्यालय संबंधित मंत्रालयों से चर्चा के बाद कोई फैसला लेगा.

यह बता दें कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टील उत्पादक देश है.देश कि कुल उत्पादन क्षमता 11 करोड़ टन है.इसके बावजूद घरेलू स्टील उद्योग चीन , रूस , जापान और दक्षिण कोरिया से आ रहे सस्ते आयात से परेशान है.इस कारण घरेलू कारोबारी कम लाभ या घाटे का व्यापार करने को मजबूर हैं. इस मुसीबत से बचाने के लिए सरकार ने सेफ गार्ड इम्पोर्ट ड्यूटी को मार्च 18 तक बढ़ा दिया था.सरकार खास तौर  चीन से आने वाले स्टील की डम्पिंग की जाँच शुरू की है .

उधर , चीन ने भारत के एंटी डम्पिंग जाँच शुरू करने को लेकर गम्भीर आपत्ति दर्ज कराई है.चीन का कहना है कि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत इस मामले की पारदर्शी जाँच की मांग की है.चीन के व्यापार मंत्रालय के अनुसार स्टील उत्पादन की अधिकता एक ग्लोबल चुनौती है इसे मिलजुल कर निपटना होगा. हम भारत के कदम से चिंतित है.

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