मुंबई : अपनी पुस्तक विमोचन के विरोध से सुर्खियों में आए पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच चर्चा के अभाव में दोनों ही पक्षों की ओर से कट्टरपंथी तत्व हावी हो गए। पूर्व विदेश मंत्री कसूरी ने कहा कि भारत की जिद थी कि दोनों देशों के मध्य जिस तरह की गड़बडि़यां हो रही हैं इसके लिए पाकिस्तान पर दोष मढ़ दिया जाए। यह काउंटर प्रोडक्टिव साबित हो रही थी। कसूरी द्वारा यह भी कहा गया कि जनरल मुशर्रफ की भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी चर्चा चलती रही।
कसूरी ने कहा कि घाटी में शांति लाने की कोशिशों के अंतर्गत पाकिस्तान ने कश्मीर में चल रहे टेररिस्ट कैंपों का पता दिया। इस दौरान इस तरह का दावा किया गया था कि दोनों ओर शांति का माहौल था। सीमा विवाद सुलझाने का इससे अच्छा अवसर और कोई नहीं था। इसके बाद तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी पर शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारे जाने को लेकर भी आरोप लगाया गया।
इस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने दाऊद इब्राहिम को भारत को सौंपे जाने की मांग की। इस मांग ने आगरा की शांति वार्ता को बर्बाद कर दिया। कसूरी ने कहा कि कश्मीर में चल रहे आतंकी कैंपों का पता पाकिस्तान ने ही शांति वार्ता के तहत दिया था मगर जब आडवाणी ने भारत को दाऊद को सौंपने की मांग की तो यह वार्ता अपने नतीजे पर नहीं पहुंच पाई।