मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएए कानून के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों के समय राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में टेलीकॉम सेवाएं रोकने को चुनौती देने वाली अर्जी को ठुकरा दिया. इसमें आरोप लगाया गया था कि ये कदम नियमों के विरुद्ध था. चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरि शंकर के समक्ष एडिशनल सॉलीसीटर जनरल संजय जैन ने बताया कि दिसंबर 19 को केवल चार घंटे के लिए ही सेवाएं रोकी गईं और यह आदेश अब प्रभाव में नहीं है.
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अदालत ने उनकी दलील सुनने के बाद इस अर्जी पर आगे सुनवाई से इनकार कर दिया. जैन ने यह भी कहा कि इस मामले में किसी तरह के नियम को नहीं तोड़ा गया है. हाइकोर्ट ने कहा कि अगर इस रोक से किसी व्यक्ति को किसी तरह का नुकसान हुआ है तो वह मुआवजे के लिए वाद ला सकता है. इस मामले में याचिकाकर्ता एसएफएलएसी डॉट इन ने दावा किया था कि यह कदम डिजीटल अधिकार और स्वतंत्रता का उल्लंघन है.
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आपकी जानकरी के लिए बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट की इसी पीठ ने जामिया हिंसा मामले में भाजपा नेता की एक अर्जी पर कोई आदेश तत्काल जारी करने से भी इंकार कर दिया.इसमें भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि इस हिंसा की वजह से करीब 20 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और इसकी भरपाई इसके जिम्मेदार लोगों से की जानी चाहिए.इसके अलावा देश में शांति व्यवस्था भंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश देने की मांग करने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दायर की गई. एक याचिकाकर्ता पुनीत कुमार ढांडा ने कहा कि नागरिकता कानून के नाम पर झूठ और अफवाह फैला रहे राजनीतिक दलों की पहचान और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया जाना चाहिए.
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