जानिए आखिर क्यों दीपक वर्मा ने कोषाध्यक्ष ओपी शर्मा को कर दिया था बर्खास्त
जानिए आखिर क्यों दीपक वर्मा ने कोषाध्यक्ष ओपी शर्मा को कर दिया था बर्खास्त
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दूसरे गुट पर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में एडहॉक कमेटी बनवाने का आरोप लगाने वाले निलंबित संयुक्त सचिव राजन मनचंदा व निदेशक आलोक मित्तल, अपूर्व जैन, नितिन गुप्ता, रेनू खन्ना और सुधीर अग्रवाल ने अपनी सर्वोच्च संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को 23 मई को लेटर लिखकर बोला है कि वह प्रदेश संघ में अगली वार्षिक आम सभा या चुनाव तक एडहॉक कमेटी बनाने सहित किसी भी फैसला को मानने को तैयार हैं. मालूम हो कि हाल ही में डीडीसीए के लोकपाल दीपक वर्मा ने अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के साथ दो निदेशक पद पर चुनाव कराने का आदेश दिया था. उन्होंने डीडीसीए के चुनाव ऑफिसर व पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला को बोला था कि अगर यह चुनाव 30 जून के बाद होते हैं तो फिर चार निदेशकों के चुनाव कराए जाएं क्योंकि तब तक दो व निदेशकों का कार्यकाल समाप्त हो चुका होगा. राजन, आलोक मित्तल, अपूर्व, नितिन, रेनू व सुधीर ने बीसीसीआइ को लिखा कि शीर्ष परिषद के 12 मेम्बर दो जुलाई 2018 को आम चुनाव में चुने गए थे. इससे अलग चार नामित निदेशक भी चुने गए थे. ऐसे में डीडीसीए में 16 निदेशक हो जाते हैं. 29 नवंबर 2019 को डीडीसीए अध्यक्ष रजत शर्मा ने त्याग पत्र दे दिया था. अच्छा समय पर उसके चुनाव होने चाहिए.

इस वर्ष दो फरवरी को लोकपाल दीपक वर्मा ने कोषाध्यक्ष ओपी शर्मा को बर्खास्त कर दिया था. उनके इस निर्णय पर पहले से ही सवाल खड़े हो रहे हैं. 19 फरवरी को शीर्ष परिषद के तीन नामित निदेशकों का कार्यकाल समाप्त हो गया है. 29 फरवरी को ट्रायल न्यायालय ने डीडीसीए के उपाध्यक्ष राकेश बंसल व सचिव विनोद तिहारा को निलंबित कर दिया था. ऐसे में अब आठ बोर्ड निदेशक बचे हैं, जबकि एक सीएसी के नामित निदेशक हैं. शीर्ष परिषद में अभी नौ ही मेम्बर हैं. सदस्यों ने बोला कि यह सारा मुद्दा डीडीसीए में कानूनी प्रक्रिया में किए जा रहे खर्च से प्रारम्भ हुआ है. जो पैसा क्रिकेटरों पर खर्च होना चाहिए था, वह वकीलों व लोकपाल पर खर्च हो रहा है. अभी तक शीर्ष परिषद ने लोकपाल की फीस देने के लिए किसी करार पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. ना ही किसी कानूनी कमेटी के खर्चो के लिए कोई हामी भरी गई है. इसके बारे में जब भारद्वाज को बोला गया तो उन्होंने कानूनी प्रक्रिया में सभी को फंसाने की धमकी दी.

वहीं डीडीसीए के एक ऑफिसर ने बोला कि यह तो एडहॉक कमेटी की मांग करना तो प्रदेश संघ के साथ विश्वासघात है. जब लोकपाल चुनाव की घोषणा कर चुके हैं तो ये लोग उससे भय क्यों रहे हैं. इन्हें उन पदों पर अपने गुट के सदस्यों के हारने का भय सता रहा है. इन्होंने लेटर में सब कुछ लिखा लेकिन यह क्यों नहीं बताया कि राजन मनचंदा को पिछली एजीएम में लड़ाई के कारण लोकपाल निलंबित कर चुके हैं.

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