कोलकाता: राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) ने शुक्रवार (16 फरवरी) को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के दौरे के बाद राज्य में पूर्ण अराजकता का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हुए महामहिम द्रौपदी मुर्मू को एक रिपोर्ट सौंपी है। दलित समुदाय के लिए कार्य करने वाले आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने भी राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की है। बाद में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "हमने सिफारिश की है कि अनुच्छेद 338 के तहत पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों के अधिकारों की रक्षा करना है।"
अरुण हलदर ने कहा कि राष्ट्रपति ने NCSC टीम को आश्वासन दिया है कि वह मामले को देखेंगी और कार्रवाई करेंगी। जब NCSC टीम ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों से मिलने के लिए संदेशखाली में प्रवेश करने की कोशिश की, तो बंगाल के कई पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया। हलदर ने बताया कि, ''राज्य सरकार ने अपराधियों से हाथ मिला लिया है।'' 8 फरवरी को, पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की महिलाएं फरार TMC नेता और ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी शेख शाहजहां और उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सड़क पर उतरीं हैं।
संदेशखाली में रेप पीड़िताओं ने आपबीती बतानें पर उन्हें गिरफ्तार किया गया
— हम लोग We The People ???????? (@ajaychauhan41) February 16, 2024
क्या बंगाल में अघोषित लक्षित हिंसा बिल लागू हो गया है?
पश्चिम बंगाल संदेशखाली में “पीड़ित महिलाओं” को ही 'गिरफ्तार' कर लिया गया?
मतलब बलात्कार भी हो .... चुप भी रहो?
इतनी क्रूरता, कोई कैसे कर सकता है?… pic.twitter.com/Lo4tWEl4dJ
महिलाओं ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने क्षेत्र में गरीबों की जमीनें जबरदस्ती हड़प लीं और महिलाओं के साथ रात-रात भर यौन उत्पीड़न किया और संतुष्ट होने पर ही उन्हें रिहा किया। आरोपियों ने ग्रामीणों को उनके द्वारा चलाए जा रहे व्यवसाय में काम भी करवाया और उन्हें उसका भुगतान भी नहीं किया। NCSC प्रमुख ने कहा कि, "हमने सिफारिश की है कि अनुच्छेद 338 के तहत पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति के अधिकारों की रक्षा करना है।"
“बाहर आओ,हम तुम्हारे साथ सामूहिक बलात्कार करेंगे"
— Yogita Bhayana योगिता भयाना (@yogitabhayana) February 12, 2024
भीड़ उसके गेट के पार से उसका हाथ खींचते हुए चिल्लाई वो भी महिला के पति और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में !
पश्चिम बंगाल 24 परगना की यह संदेशखाली है,जहाँ गुंडा शाहजहां शेख का राज चलता है,उसके गुंडे महिलाओं को उठाते… pic.twitter.com/swnAsYgC2T
बता दें कि, संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत, NCSC अनुसूचित जाति (SC) के संवैधानिक सुरक्षा उपायों के कामकाज पर सालाना और अन्य वक़्त पर राष्ट्रपति को रिपोर्ट पेश करने के लिए बाध्य है। आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा कि संदेशखाली में हिंसा अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को प्रभावित कर रही है, यह देखते हुए कि पश्चिम बंगाल में देश में SC की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। इसके अलावा आयोग ने बंगाल की TMC सरकार को भी नोटिस भेजकर फरार आरोपियों के खिलाफ फ़ौरन कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
संदेशखाली की महिलाएं TMC नेताओं और उनके गिरोहों की यातना का वर्णन कर रही हैं, जिसमें यौन शोषण से लेकर जमीन पर कब्जा और लूट तक सब कुछ शामिल है।
— Vinay Dwivedi (@Vinay_Dwivedii) February 16, 2024
एक ने कहा, ''पट्टे के नाम पर हमारी जमीन हड़प ली जाती है. उन्होंने भूमि पर मछलीपालन किया। लीज मनी मांगने पर धमकी मिलती है ।......... pic.twitter.com/lwafwVQqVF
उन्होंने कहा कि, "राज्य को उनकी (SC) रक्षा करनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और वे वास्तव में राज्य सरकार के शासन के तहत पीड़ित हैं।" भाजपा की एक केंद्रीय टीम ने भी शुक्रवार को संदेशखाली का दौरा किया और कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आज (शनिवार) आने वाला है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा संदेशखाली जाने के लिए गठित 6 सदस्यीय भाजपा प्रतिनिधिमंडल को शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में पुलिस ने रोक दिया। टीम में पार्टी नेता अन्नपूर्णा देवी, प्रतिमा भौमिक, सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और बृज लाल शामिल थे। भाजपा नेता अग्निमित्र पॉल प्रतिनिधिमंडल के साथ संदेशखाली जा रहे हैं।
इस बीच, लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार की शिकायत पर पश्चिम बंगाल के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को तलब किया था। विशेषाधिकार समिति ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को 19 फरवरी को भाजपा राज्य प्रमुख की शिकायत पर उनके सामने पेश होने का निर्देश दिया है। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये भी है कि, संदेशखाली में दलित और आदिवासी महिलाएं नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं, लेकिन दलितों-आदिवासियों के नाम पर राजनीती करने वाले भीम आर्मी, बसपा, जैसे दलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, वहीं, भाजपा और कांग्रेस धुर विरोधी होते हुए भी इस मुद्दे पर एकसाथ नज़र आ रहीं हैं और संदेशखाली की महिलाओं की आवाज़ बुलंद कर रहीं हैं।
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