करंट अफेयर्स: आईआईटी खड़गपुर के द्वारा रिसर्च सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ तथ्य
करंट अफेयर्स: आईआईटी खड़गपुर के द्वारा रिसर्च सिंधु घाटी सभ्यता के कुछ तथ्य
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हरियाणा के भिर्राना नामक स्थान पर की गयी खुदाई एवं शोध कार्यों से यह पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता हमारे पूर्वानुमान से काफी पहले विद्यमान थी. साथ ही, यह भी पता चला है कि जलवायु परिवर्तन ही हड़प्पा सभ्यता के विनाश का कारण नही था|

आईआईटी खड़गपुर, पुरातत्व इंस्टिट्यूट, डेक्कन कॉलेज ऑफ़ पुणे, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यह अध्ययन किया गया|

इस शोध की जानकारी नेचर साइंटिफिक में 25 मई 2016 को प्रकाशित की गयी. इस अध्ययन के अनुसार यहां से प्राप्त किये गये बर्तन लगभग 8000 वर्ष पुराने हैं|

•    भिर्राना नामक स्थान पर सिंधु घाटी सभ्यता के हड़प्पा सभ्यता के आरम्भिक काल से इसके परिपक्व होने तक के अवशेष मिलते हैं.
•    अब तक प्राप्त सबसे पुराने बर्तनों के अवशेषों के अध्ययन से पता चलता है कि यह लगभग 6000 वर्ष पुराने हैं.
•    हड़प्पा काल से पहले के अध्ययन से पता चलता है कि यह सभ्यता 8000 वर्ष से भी पुरानी थी.
•    इसका अर्थ यह हुआ कि पहले के अनुमानों की अपेक्षा 2500 वर्ष अधिक पुरानी है|


जलवायु परिवर्तन हड़प्पा सभ्यता के अचानक पतन के लिए जिम्मेदार नहीं

•    शोधकर्ताओं ने इन स्थानों से प्राप्त अवशेषों के आधार पर ऑक्सीजन आइसोटोप रचना द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारणों का पता लगाया|
•    शोध में पाया गया कि पिछले 7000 वर्षों में मानसून के लगातार कमज़ोर होने के बावजूद सभ्यता विलुप्त नहीं हुई अपितु उन्होंने अपनी खेती के नए तरीकों से खेती में सुधार किया|
•    वे गेंहूं की खेती की अपेक्षा धान की खेती अधिक करने लगे|
•    घरों में स्टोर की सुविधा कम थी लेकिन सभ्यता के परिपक्व होने पर यह प्रणाली भी विकसित की गयी|

हड़प्पा अध्ययन स्थल भिर्राना

•    इस स्थान की खुदाई 2005-2006 में स्वर्गीय डॉ एल एस राव द्वारा की गयी|
•    शोधकर्ताओं का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार भारत के बड़े हिस्से में था. इसका विस्तार सिंधु नदी से लेकर विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी के किनारे तक था|
•    पुरातन सभ्यता में गांव कृषि आधारित थे जबकि परिपक्व सभ्यता में निवासियों का एशिया के विभिन्न स्थानों तक व्यापर होता था|

पृष्ठभूमि
•    वर्तमान अध्ययन से हड़प्पा सभ्यता के पाषाण काल को 5700-3300 ई.पू. माना गया है|
•    यह सभ्यता पाकिस्तान से उत्तर पश्चिमी भागों तक फैली हुई थी, इन क्षेत्रों में गुजरात एवं अरब सागर भी शामिल हैं|
•    भारतीय उपमहाद्वीप में हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की उपस्थिति लोथल, धोलावीरा, कालीबंगन एव, राखीगढ़ी में पाई गयी है|
•    विभिन्न पुरातात्विक शोधकर्ताओं का मानना है कि 5000 वर्षों बाद मानसून में आई कमी एवं भयानक सूखे के कारण हड़प्पा संस्कृति का पतन हुआ|
•    नए प्राप्त हुए आंकड़ों के आधार पर इसे मेसोपोटामिया और मिस्त्र की सभ्यता से भी पुराना कहा जा सकता है. मिस्त्र की सभ्यता को 8000 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व तक बताया जाता है, और मेसोपोटामिया सभ्यता का आस्तित्त्व 6500 ईसा पूर्व से 3100 ईसा पूर्व तक माना जाता है|

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